इस गिरावट के पीछे कई बड़ी वजहें सामने आईं. सबसे प्रमुख रही मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ी. कई लोगों का नाम उनके वार्ड से हटाकर दूसरे वार्ड में डाल दिया गया, जिससे वे वोट नहीं डाल सके. कुछ का नाम ही सूची से गायब था.
- कम मतदान प्रतिशत बना बक्सर उपचुनाव की सबसे बड़ी चर्चा, ई-वोटिंग और मतदाता सूची में गड़बड़ी बनी वजह
- 1.15 लाख मतदाताओं में से सिर्फ 28.54% ने डाला वोट, ई-वोटिंग से 54.71% पंजीकृत मतदाता ही हुए सक्रिय
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बक्सर नगर परिषद उपचुनाव 2025 की सबसे बड़ी चर्चा मतदान का बेहद कम प्रतिशत रहा. जहां एक ओर देश ने पहली बार बक्सर से ई-वोटिंग की ऐतिहासिक शुरुआत देखी, वहीं दूसरी ओर मतदाता सूची की गड़बड़ियों, सूचना के अभाव और तकनीकी भ्रम के कारण बड़ी संख्या में लोग मतदान से वंचित रह गए.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बक्सर नगर परिषद क्षेत्र में कुल मतदाता 1,15,983 थे, लेकिन इनमें से केवल करीब 33,100 मतदाताओं ने ही वोट डाला, जो कुल 28.54% है. इस आंकड़े में ई-वोटिंग के लिए पंजीकृत 13,147 मतदाताओं में से 54.71% (करीब 7,198) और परंपरागत बूथ पर 22.33% (करीब 25,902) मतदाता शामिल हैं.
मतदान प्रतिशत में आई इस गिरावट के पीछे कई बड़ी वजहें सामने आईं. सबसे प्रमुख रही मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ी. कई लोगों का नाम उनके वार्ड से हटाकर दूसरे वार्ड में डाल दिया गया, जिससे वे वोट नहीं डाल सके. कुछ का नाम ही सूची से गायब था.
इसके अलावा बीएलओ द्वारा मतदाता पर्ची समय पर न दिए जाने की शिकायतें भी आम रहीं. कई मतदाताओं को न तो उनके बूथ की जानकारी थी और न ही उन्हें इस बारे में कोई मार्गदर्शन मिला कि वे कहां जाकर वोट डाल सकते हैं.
ई-वोटिंग जैसे नवाचार के बावजूद अपेक्षित सफलता नहीं मिली. समुचित जागरूकता अभियान की कमी के चलते बड़ी संख्या में लोग ई-वोटिंग के लिए पंजीकरण ही नहीं करा सके. जिन्होंने पंजीकरण कराया भी, वे प्रक्रिया को लेकर भ्रम में पड़े रहे.
सबसे ज्यादा असमंजस उन लोगों के बीच हुआ जो ई-वोटिंग नहीं कर सके और बाद में बूथ पर जाकर वोट देना चाहते थे. मतदाता पंकज मानसिंहका के मुताबिक कहा गया था कि अगर ई-वोटिंग असफल रही तो वे दोपहर 1 बजे के बाद मतदान केंद्र पर जाकर वोट दे सकते हैं, लेकिन बूथों पर उन्हें साफ़ निर्देश नहीं मिले. बाद में जानकारी दी गई कि वोटिंग शाम 4 बजे से शुरू होगी, लेकिन तब तक कई लोग बिना वोट दिए लौट गए.
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. स्नेहाशीष वर्धन ने ई-वोटिंग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना पूर्ण तकनीकी पारदर्शिता और जनजागरूकता के यह प्रयोग अधूरा रह गया. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को इस पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करनी चाहिए.
कुल मिलाकर, बक्सर उपचुनाव भले ही तकनीकी दृष्टि से एक ऐतिहासिक प्रयोग रहा हो, लेकिन कम मतदान प्रतिशत इस बात का प्रमाण है कि तकनीक और प्रशासनिक तैयारी के बीच गहरी खाई रही. यदि मतदाता सूची सटीक होती, पर्चियों का वितरण समय से होता और ई-वोटिंग को लेकर प्रचार अधिक होता, तो मतदान का आंकड़ा कहीं अधिक हो सकता था.
अब भविष्य की चुनौती यही है कि प्रशासन और निर्वाचन आयोग इस अनुभव से सीख लेकर अगली बार ऐसी व्यवस्था करें, जिससे हर मतदाता तक जानकारी पहुंचे और कोई भी लोकतंत्र के इस पर्व से वंचित न रहे.
कहते हैं अधिकारी
स्थानीय चुनाव होने की वजह से लोगों के बीच मतदान को लेकर उदासीनता मानी जा सकती है हालांकि, मतदाताओं को मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. इस चुनाव में ई-वोटिंग का ट्रायल हुआ जो काफी सफल रहा. लगभग 55 फीसद लोगों ने इसका प्रयोग किया. मतदाता सूची में गड़बड़ी की बात अगर सामने आती है तो उसे भी दुरुस्त कराया जाएगा. बूथ का निर्धारण भी पूर्व में ही हो चुका था. मतदाता अपने बीएलओ से संपर्क कर त्रुटियों को ठीक करा सकते हैं.
अविनाश कुमार
निर्वाची पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी, बक्सर
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