जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी पर निकाला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी, अमन और मोहब्बत का दिया पैगाम ..

कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब सभी नबियों के नबी हैं और उनकी पैदाइश इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देती है. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था समय-समय पर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहती है. हाल ही में पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री भेजी गई थी. 




                                         





परंपरागत अंदाज में गूंजे नारे, जगह-जगह हुआ स्वागत
रोटरी क्लब और मानवाधिकार संगठनों ने दी मुबारकबाद

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शुक्रवार को पूरा शहर जश्न-ए-ईदे मिलादुन्नबी की रूहानी फिजा में डूबा रहा. रंग-बिरंगे झंडों, गूंजते नारों और फूलों की बरसात के बीच परंपरागत अंदाज में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया. सड़क से लेकर गलियों तक हर जगह अमन, मोहब्बत और भाईचारे का संदेश गूंजता रहा. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इस ऐतिहासिक जुलूस का हिस्सा बना और तिरंगे के साथ हरे झंडों ने भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को और चमकदार बना दिया.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

जुलूस के शांतिपूर्ण संचालन के लिए जिला प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे. पुलिस बल के जवान विभिन्न मार्गों पर तैनात रहे और अधिकारी खुद निगरानी करते दिखे. पूरे आयोजन का माहौल सौहार्द और भाईचारे से भरा रहा.

पैगंबर मोहम्मद साहब का संदेश

ईद मिलादुन्नबी इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर मनाया जाता है. वक्ताओं ने कहा कि पैगंबर ने अमन, इंसानियत और भाईचारे की मिसाल पेश की. उन्होंने जरूरतमंद की मदद को अपना फर्ज माना और भूखों को कभी खाली हाथ नहीं लौटाया. यही संदेश आज भी मानवता के लिए प्रेरणा है. मुस्लिम समाज इस दिन जुलूस निकालकर, मिठाइयां बांटकर और एक-दूसरे को मुबारकबाद देकर खुशियां साझा करता है.

संगठनों की भूमिका

इस अवसर पर रोटरी परिवार, मानवाधिकार एवं साबित खिदमत फाउंडेशन ने बक्सर समेत पूरे बिहार को मुबारकबाद दी. मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के प्रदेश सचिव डॉ. दिलशाद आलम ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब सभी नबियों के नबी हैं और उनकी पैदाइश इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देती है. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था समय-समय पर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहती है. हाल ही में पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री भेजी गई थी. डॉ. दिलशाद ने युवाओं से अपील की कि वे इंसानियत की सेवा में आगे आएं.

अमन और भाईचारे पर जोर

डॉ. खालिद ने कहा कि रसूल-ए-पाक की आमद पूरी दुनिया के लिए शांति का पैगाम है. उन्होंने कहा कि नबी के बताए रास्ते पर चलकर हम समाज में भाईचारा और मोहब्बत कायम रख सकते हैं. ऐसे संदेश आज के दौर में और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

उत्साह और स्वागत

जुलूस-ए-मोहम्मदी में छोटे-छोटे बच्चे हाथों में झंडे लिए पैगंबर के नाम के नारे लगा रहे थे. महिलाएं घरों की छतों और गलियों से फूल बरसाकर स्वागत कर रही थीं. जगह-जगह शर्बत और मिठाई के स्टॉल लगाए गए थे, जिनसे राहगीरों और जुलूस में शामिल लोगों को ताजगी मिलती रही.

गणमान्य लोगों की मौजूदगी

इस मौके पर लल्लू जी, कल्लू, महताब, नजीर, मुख्तार अंसारी, नन्हे और एखलाक सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. सभी ने एक स्वर में कहा कि भारत की असली ताकत आपसी भाईचारा और धर्मों की एकजुटता है.

ईद मिलादुन्नबी का यह जश्न न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि सामाजिक एकता और इंसानियत की मिसाल भी पेश करता दिखा. आयोजकों ने कहा कि इस मौके का असली मकसद यही है कि समाज अमन और मोहब्बत की राह पर आगे बढ़े.


✅ यह खबर अब 500 शब्दों में है और आकर्षक इंट्रो के साथ पूरी तरह तैयार है.

क्या आप चाहेंगे कि मैं इसके लिए 2–3 वैकल्पिक हेडलाइन भी सुझाऊं ताकि इसे अख़बार/वेबसाइट पर और प्रभावी ढंग से लगाया जा सके?







Post a Comment

0 Comments