गोस्वामी तुलसीदास जी के परम उपासक और द्वादश ग्रंथों के अद्भुत प्रवक्ता पूज्य श्रीनारायण दास भक्तमाली जी महाराज के प्रथम कृपा पात्र शिष्य परम पूज्य रामचरित दास जी महाराज उर्फ महात्मा जी महाराज ने देह त्याग कर साकेत धाम में श्री सीताराम जी के चरणों में स्थान प्राप्त किया.
- रात्रि करीब 10 बजे साकेत धाम को किया प्रस्थान, संत समाज में शोक
- आज अंतिम यात्रा, कॉलेज घाट पर गंगा में दी जाएगी जलसमाधि
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : संत समाज और श्रद्धालुओं के लिए यह अत्यंत भावुक कर देने वाला क्षण है. रात्रि करीब 10 बजे गोस्वामी तुलसीदास जी के परम उपासक और द्वादश ग्रंथों के अद्भुत प्रवक्ता पूज्य श्रीनारायण दास भक्तमाली जी महाराज के प्रथम कृपा पात्र शिष्य परम पूज्य रामचरित दास जी महाराज उर्फ महात्मा जी महाराज ने देह त्याग कर साकेत धाम में श्री सीताराम जी के चरणों में स्थान प्राप्त किया. उनके महाप्रयाण की सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई.
महात्मा जी महाराज का जीवन सादगी, सेवा और राम नाम के प्रचार-प्रसार को पूर्णतः समर्पित रहा. वे जहां भी गए, अपने प्रवचनों और आचरण से लोगों के हृदय में भक्ति, संस्कार और मानवता का दीप प्रज्वलित करते रहे. उनका जीवन स्वयं एक प्रेरणादायी संदेश था, जो समाज को सत्य, संयम और सेवा के मार्ग पर चलने की सीख देता रहा.
कृतपुरा निवासी राघवेन्द्र राय ने भावुक स्वर में कहा कि महात्मा जी महाराज केवल एक संत नहीं थे, बल्कि वे चलते-फिरते तीर्थ के समान थे. उनके दर्शन से मन को शांति और जीवन को सही दिशा मिलती थी. उनका जाना हम सभी के लिए अपूरणीय और व्यक्तिगत क्षति है.
नीतीश सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आज सुबह 11 बजे अंतिम यात्रा हनुमत धाम मंदिर, कमरपुर से प्रारंभ होगी. यह यात्रा बलुआ और नया बाजार होते हुए कॉलेज गेट तक पहुंचेगी. इसके पश्चात कॉलेज घाट पर वैदिक विधि-विधान के साथ गंगा में जलसमाधि दी जाएगी.
श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि अंतिम यात्रा में शामिल होकर महात्मा जी महाराज के अंतिम दर्शन करें और संत दर्शन-पारस का पुण्य लाभ प्राप्त करें.





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