इस बात की भनक जैसे ही स्थानीय कार्यकर्ताओं तथा पर्यावरण संरक्षकों को लगी वह मौके पर पहुंचे तथा अमीन से मापी का लिखित आदेश की मांग कर दी. इतना सुनते ही अमीन ने मौके से खिसकने में ही भलाई समझी. हालांकि, इस कृत्य के बाद अंचल कर्मियों तथा भू माफियाओं के सांठ-गांठ का खुलासा हो गया.
सरकारी जमीन पर कब्ज़ा दिलाने पहुँचे अंचल अमीन |
- डुमराँव में कांव नदी की जमीन पर गांव बसाने का कुत्सित प्रयास
- सामाजिक कार्यकर्ताओं ने डीएम से की मामले में हस्तक्षेप की मांग
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: एक तरफ जहां सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल-जीवन- हरियाली कार्यक्रम के तहत नदी पोखरा, आहर, नहर, पइन, कुआं आदि को अतिक्रमण से मुक्त करा कर जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. वहीं, कुछ भू-माफियाओं के साथ मिलकर डुमराँव अंचल के अंचल कर्मी नदी की जमीन पर बस्ती बसाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि, जागरूक लोगों की वजह से भू माफियाओं का यह मंसूबा सफल नहीं हो पा रहा है. मजे की बात यह है कि कैसर-ए-हिंद की इस जमीन को बचाने के लिए जहां स्थानीय लोग बार-बार संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ इसे बचाने को जिम्मेदार लोगों की मदद से इस पर कब्जा किए जाने का कुत्सित सिर्फ प्रयास किया जा रहा है. मामले को लेकर सामाजिक मंच के कार्यकर्ताओं के द्वारा जिला पदाधिकारी से हस्तक्षेप करने की मांग की.
बताया जा रहा है कि अंचलाधिकारी के द्वारा गलत ढंग से रजिस्टर टू में हेरफेर किया गया जिसके आधार पर जमीन की रजिस्ट्री औद्योगिक थाना क्षेत्र के सोनवर्षा के रहने किसी भू-माफिया विजेंद्र राम के नाम से कर दी गई. जिस व्यक्ति के नाम से यह रजिस्ट्री की गई उस व्यक्ति ने मजे से जमीन को बेचना भी शुरू कर दिया. लेकिन, तब तक सामाजिक कार्यकर्ताओं के समक्ष यह मामला उजागर हो गया और मामले को लेकर भूमि सुधार उप समाहर्ता के यहां शिकायत दर्ज कराई गई. उन्होंने पटना हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सार्वजनिक संपत्ति को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की बात कही. हालांकि, तकरीबन 6 माह बीत जाने के बाद भी जब अंचलाधिकारी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई और लॉकडाउन का फायदा उठाकर भू-माफियाओं के द्वारा जमीन को बेचे जाने का खेल शुरू हो गया तो स्थानीय निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अक्षयमणि सिंह के साथ डुमराँव नगर परिषद की मुख्य पार्षद भागमनी देवी तथा तकरीबन 14 वार्ड पार्षदों एवं कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का हस्ताक्षरित पत्र अनुमंडल पदाधिकारी को दिया गया तथा इस विषय में संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया.
मामले को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी कुछ करते इसी बीच 2 दिनों पूर्व अंचल अमीन नथुन राम लोगों को जमीन पर कब्जा दिलाने पहुंच गए. उन्होंने बाजाप्ता मापी शुरु कर दी. बताया जा रहा है कि इस बात की भनक जैसे ही स्थानीय कार्यकर्ताओं तथा पर्यावरण संरक्षकों को लगी वह मौके पर पहुंचे तथा अमीन से मापी का लिखित आदेश की मांग कर दी. इतना सुनते ही अमीन ने मौके से खिसकने में ही भलाई समझी. हालांकि, इस कृत्य के बाद अंचल कर्मियों तथा भू माफियाओं के सांठ-गांठ का खुलासा हो गया.
करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर गड़ी है भूमि माफियाओं की गिद्ध दृष्टि:
बताया जा रहा है कि अंग्रेजों के समय बाढ़ आने पर कांव नदी की पानी से काफी नुकसान होता था. ऐसे में वर्ष 1917 में 154 बीघा जमीन लेकर बांध बनाया गया बताया जा रहा है कि, इसमें डुमराँव महाराज द्वारा 134 बीघा तथा स्थानीय लोगों के द्वारा 40 बीघा जमीन सरकार को दी गयी थी. वह जमीन अब कैसर-ए-हिंद की जमीन है. जिसे किसी को खरीदने बेचने का अधिकार नहीं है.
कहते हैं अधिकारी:
मामले में अंचलाधिकारी को जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने तथा अतिक्रमण का प्रयास करने वाले लोगों को चिन्हित करने को कहा गया है. इसके बाद भी यदि कोई गलत ढंग से मापी आदि करने जाता है तो उस पर अंचलाधिकारी के स्तर कर उचित कार्यवाही की जाएगी तथा अंचलाधिकारी स्वयं जाकर स्थल की जांच भी करेंगे.
हरेंद्र राम,
अनुमंडल पदाधिकारी, डुमराँव
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