राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन इस उद्देश्य से ही किया जाता है कि व्यवहार न्यायालय पर बढ़ रहे मुकदमों के बोझ को कम किया जा सके. साथ में लोगों को सुलभ न्याय उपलब्ध करवाया जा सके.
- वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में निबटे 2036 मामले
- वादों के निपटारे के लिए बनाए गए थे कुल बारह बेंच
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को वर्ष 2024 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश -सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार आनंद नंदन सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभाकर दत्त मिश्रा एवं अवर न्यायाधीश -सह- सचिव, देवेश कुमार, व्यवहार न्यायालय तथा उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उदघाटन किया. मौके पर न्यायिक पदाधिकारी व कार्यालय कर्मचारी मौजूद रहे.
इस मौके पर मंच का संचालन उपस्थित रिटेनर अधिवक्ता विष्णु दत्त द्विवेदी ने मंच का संचालन किया. साथ ही गणेश वंदना पर मधुर गीत श्रीमती आरती राय (पैनल अधिवक्ता) के द्वारा गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की गई. लोक अदालत पूर्वाह्न दस बजे शुरु की गई. राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न वाद के 2036 मामलों का निबटारा कराया गया.
इस दौरान अपने संबोधन में जिला न्यायाधीश ने कहा कि, लोक अदालत सुलभ और एक ही दिन में मुकदमे के निपटारे का सुलभ रास्ता है. इसमें ना कोई पक्ष जीतता है, ना ही कोई पक्ष हारता है, इसमें दोनों पक्षों की जीत होती है.कोई भी व्यक्ति अपने वाद का निपटारा सुलह समझौते के माध्यम से करा सकता है. लोक अदालत में आने वाले वाद के सभी पक्षकारों को लोक अदालत पर मैं स्वागत करता हूं और आशा करता हूं कि सुलह के आधार पर अपने-अपने वादों का निष्पादन वे करवाएंगे.
मौके पर देवेश कुमार अवर न्यायाधिश -सह- सचिव, जिला प्राधिकार ने कहा कि देश के सभी जिला न्यायालय में सुलहनीय वादों के निष्पादन, लोगों को विधिक सेवा उपलब्ध करवाना एवं विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार का गठन किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य जिले के आम जनमानस को विधिक सेवा उपलब्ध करवाना, विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करना, साथ ही जिला न्यायालय में लंबित सुलहनीय वादों को चिन्हित कर दोनों पक्षकारों के बीच मध्यस्थता करवाकर उनके बीच हुए मनमुटाव, आपसी बैर को खत्म कर समाज के लोगों के बीच आपसी सौहार्द बनाए रखना है. इसी कड़ी में आज देश के सभी जिलों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन व्यवहार न्यायालय में किया जा रहा है. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली, के निर्देश पर इस अवसर को हम लोग एक राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाते हैं. वाद के दोनों पक्षकार स्थानीय न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में अपने- अपने वादों को लेकर दौड़ते रहते हैं और उनके मुकदमे का निपटारा नहीं होता. यदि अपने मुकदमों का निपटारा करवाना चाहते हैं तो सीधे लोक अदालत में आए और एक ही दिन में अपने वादों का निपटारा सुलह के आधार पर करवाए
राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन इस उद्देश्य से ही किया जाता है कि व्यवहार न्यायालय पर बढ़ रहे मुकदमों के बोझ को कम किया जा सके. साथ में लोगों को सुलभ न्याय उपलब्ध करवाया जा सके. साथ ही राष्ट्रीय लोक अदालत में सम्मिलित होने वाले सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन भी उन्होंने दिया. उन्होंनें कहा कि लोक अदालत जनता की अदालत है. जिसमे आपकी सहमति से ही आप के द्वारा किए गए मुकदमों का सुलह के आधार पर निबटारा करवाया जाता है. दोनो पक्षों के सुलह होने पर अवार्ड बनता है, जिससे दोनो पक्षों को दिया जाता है जिसकी एक कॉपी न्यायालय में भी रखी जाती है.
राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक के 602 व भारत संचार निगम लिमिटेड एव यातायात के कुल 711, ग्राम कचहरी के 31 , आपराधिक 193 वाद, चेक बाउंस के 00, यातायात अधिनियम के 711 जिसमे 56,40,173/- रुपये की रिकवरी की गई, विद्युत वाद के 304 मामले का निपटारा कराया गया. जिसमे 3,64,202/- रुपये, जिले के विभिन्न बैंकों ने 602 मामलों जिसमे हुए निष्पादन में इस दौरान कुल 05 करोड़ 66 लाख एक सौ 73 रुपये की रिकवरी हुई.
मौके पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभाकर दत्त मिश्रा, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी देवराज, अवर न्यायाधीश रामचंद्र प्रसाद, मुंसिफ प्रीति आनंद, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी कमलेश सिंह देव न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सुभम त्रिपाठी, नेहा त्रिपाठी, गौरव कुमार सिंह, विष्णु प्रिया, आदि पैनल अधिवक्ता, बासुकी नाथ पाठक, विष्णु दत्त द्विवेदी, मधु कुमारी, आरती राय, आदि वहीं कार्यालय कर्मी सुधीर कुमार, दीपेश कुमार, संजीव कुमार, वरीय लिपिक संजय कुमार, नाजिर संतोष द्विवेदी, विधिक स्वयंसेवक मदन प्रजापति, सुरेंद्र कुमार पाण्डेय, प्रेम प्रकाश पाठक, अंजुम रावत, अविनाश, समेत अन्य लोग मौजूद रहे.
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