भाजपा से टिकट कटने के बाद अब वह किसके सहारे मैदान में रहने की बात कह रहे हैं यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किसी दूसरी पार्टी से भी मैदान में उतर सकते हैं.
- अश्विनी चौबे ने अपने कार्यकर्ताओं को दी संयम रखने की नसीहत, कहा - सब कुछ मंगल होगा
- बोले - अश्विनी चौबे मैंने खाया है बक्सर का नमक, नहीं छोड़ सकता क्षेत्र
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : केंद्रीय मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे बक्सर से टिकट कटने के बाद बागी के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि हर हाल में वह ही बक्सर में रहेंगे. 15 दिनों की चुप्पी के बाद ऐसा वह तब कह रहे हैं जब भाजपा के द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी गई है और बक्सर से मिथिलेश तिवारी अब मैदान में उतरकर जनसंपर्क भी कर रहे हैं. लेकिन बाबा अब भी मिथिलेश तिवारी को प्रत्याशी के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. भाजपा से टिकट कटने के बाद अब वह किसके सहारे मैदान में रहने की बात कह रहे हैं यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किसी दूसरी पार्टी से भी मैदान में उतर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह कह रहे हैं कि मैं अश्विनी चौबे का राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि, "अश्विनी चौबे का राजनीतिक उत्तराधिकारी केवल अश्विनी चौबे ही हो सकता है. ना तो मेरा पुत्र ना पुत्रवधु और ना ही कोई और." उन्होंने कहा कि, मेरे कार्यकर्ता मित्रों चिंता मत करो सब कुछ मंगल ही होगा. मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है और अंतिम सांस तक हाथ नहीं फैलाऊंगा.
उन्होंने कहा कि सबको टिकट मिल गया तो कुछ लोगों ने कहा कि आप ब्राह्मण हैं इसलिए आपका टिकट कट गया, लेकिन ब्राह्मण कोई जाति नहीं होता बल्कि ब्राह्मण एक संस्कार होता है, जो पवित्र है. ब्राह्मण देवता होता है. उन्होंने इशारों ही इशारों में बक्सर के एनडीए प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को नकली ब्राह्मण करार दिया. उन्होंने कहा कि मैंने बक्सर का नमक खाया है. मेरे पूर्वज बक्सर के थे और आज बक्सर मेरी कर्मभूमि है. ऐसे में मैं बक्सर छोड़ नहीं सकता.
क्या राजद से चुनाव लड़ेंगे बाबा या होंगे निर्दलीय?
एक हफ्ते के अंदर ही राजद और अश्विनी चौबे दोनों तरफ से एक दूसरे के प्रति नरमी वाले बयान सामने आए हैं. रोहिणी आचार्या ने जहां उनसे सोशल साइट पर ही आशीर्वाद मांगा वहीं, अश्विनी चौबे ने भी अपने एक साक्षात्कार में कहा कि तबीयत खराब होने पर वह लालू यादव से मिलते रहे हैं. ऐसे में दोनों तरफ का यह प्रेम देखकर यह संभावना जताई जा रही है कि वह राजद के खेमे में शामिल हो सकते हैं. लेकिन इस बात का भी खंडन तब हो जा रहा है जब उनके पूर्व में दिए गए बयान सामने आ रहे हैं. क्योंकि पूर्व में दिए गए बयान में उन्होंने भाजपा को अपनी मां बताया था और कहा था कि वह ताउम्र पार्टी की सेवा करते रहेंगे.
अश्विनी चौबे का नहीं है कभी हारने के रिकॉर्ड, एक बार ही जीत सके हैं मिथिलेश तिवारी :
अश्विनी चौबे पांच बार विधायक व दो बार सांसद रहे. लेकिन अपने किसी चुनाव में उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ा है. जबकि मूल रूप से गोपालगंज डुमरिया गांव के निवासी मिथिलेश तिवारी 2015 में एक बार गोपालगंज के बैकुंठपुर से विधानसभा का चुनाव जीते लेकिन दूसरी बार वर्ष 2020 में कटेया से चुनाव हार गए.
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