राष्ट्रीय लोक अदालत में निपटे 1,975 मामले, 2.67 करोड़ की समझौता राशि

कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां कोई हार-जीत नहीं होती, बल्कि दोनों पक्षों की सहमति से न्याय होता है. उन्होंने कहा, "मुकदमों के निपटारे का यह सबसे सरल और समयबद्ध तरीका है."









                                           




- प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिलाधिकारी ने किया उद्घाटन
- मामलों के निष्पादन से कम हुआ न्यायालय पर लंबित मामलों का बोझ

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के तत्वावधान में आज शनिवार को चौथी और अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया. इस अदालत में 1,975 मामलों का निपटारा हुआ, जिसमें कुल 2 करोड़ 67 लाख 91 हज़ार 413 रुपये की समझौता राशि तय की गई.

राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए व्यवहार न्यायालय परिसर में कुल 16 बेंच का गठन किया गया था. सुबह 10 बजे शुरू हुई लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के मामलों का निपटारा किया गया. इसमें बैंक से जुड़े 921 मामलों में 2 करोड़ 25 लाख 89 हज़ार 913, यातायात के 510 मामलों में 8 लाख 21 हज़ार 551 रुपये की राशि तय की गई. इसके अतिरिक्त, विद्युत विभाग के 221, आपराधिक मामलों के 167, चेक बाउंस के 3, तथा अन्य विवादित मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर हल किया गया.



इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश हर्षित सिंह, जिला पदाधिकारी अंसुल अग्रवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेम चंद्र वर्मा, अवर न्यायाधीश नेहा दयाल, और अन्य पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलन कर किया. मंच संचालन विनय कुमार सिन्हा, चीफ लीगल एंड डिफेंस काउंसिल सिस्टम, बक्सर ने किया.

यहां हर जीत नहीं दोनों पक्षों की सहमति से मिलता है न्याय - प्रधान जिला जज : 

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश हर्षित सिंह ने अपने संबोधन में लोक अदालत की महत्ता बताते हुए कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जहां कोई हार-जीत नहीं होती, बल्कि दोनों पक्षों की सहमति से न्याय होता है. उन्होंने कहा, "मुकदमों के निपटारे का यह सबसे सरल और समयबद्ध तरीका है."

अवर न्यायाधीश नेहा दयाल ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार का उद्देश्य लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करना और समाज में आपसी सौहार्द स्थापित करना है. जिला पदाधिकारी अंसुल अग्रवाल ने इसे एक "राष्ट्रीय पर्व" करार देते हुए सभी पक्षकारों से लोक अदालत का लाभ उठाने का आह्वान किया.

लोक अदालत में विभिन्न न्यायिक अधिकारियों, पैनल अधिवक्ताओं, विधिक स्वयंसेवकों और कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा. इस अवसर पर प्रीति कुमारी, विष्णु दत्त द्विवेदी, आनंद रंजना, ब्रजेश कुमार, सुधीर कुमार, दीपेश कुमार, मदन प्रजापति, अंजुम रावत समेत कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे.

अंत में विनय कुमार सिन्हा ने आगंतुकों और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि लोक अदालत जनता की अदालत है, जहां समझौते के आधार पर मामलों का त्वरित निपटारा किया जाता है.










Post a Comment

0 Comments