कहा कि जब इंद्र धरती पर आए, तो उन्होंने अहिल्या की प्रशंसा की, जिसके कारण अहिल्या को वर्षों तक शिला बनकर रहना पड़ा.भगवान श्रीराम जब बक्सर पहुंचे तो उनके चरणों की धूल से अहिल्या का उद्धार हुआ. आचार्य ने कहा कि यह प्रसंग नारी गरिमा और सम्मान की रक्षा का संदेश देता है.
- बक्सर नगर के सतीघाट के लाल बाबा आश्रम में आयोजित है श्रीराम कथा
- पूर्व डीजीपी व कथावाचक आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज कर रहे हैं कथा का वर्णन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के सती घाट स्थित लाल बाबा आश्रम में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन रविवार को आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया. कथा में माता अहिल्या उद्धार प्रसंग सुनाकर उन्होंने भक्तों को जीवन में सतर्कता और मर्यादा का संदेश दिया. भक्ति और ज्ञान के अद्भुत समन्वय से भरे इस प्रसंग में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी.
कथा के दौरान आचार्य गुप्तेश्वर जी ने कहा कि जहां भक्ति होती है, वहीं भगवान का वास होता है. भगवान का अवतार भी वहीं होता है, जहां ज्ञान और भक्ति दोनों का समन्वय होता है. उन्होंने कहा, "राजा दशरथ ज्ञान के प्रतीक हैं और माता कौशल्या भक्ति की प्रतीक हैं. इसी कारण भगवान श्रीराम का जन्म उनके घर में हुआ." उन्होंने यह भी बताया कि भगवान श्रीराम ने अपने बचपन में जो बाल लीलाएं कीं, वे मानव जाति को धर्म और स्नेह का संदेश देती हैं.
अहिल्या उद्धार प्रसंग का मार्मिक वर्णन :
आचार्य जी ने अहिल्या उद्धार प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया. उन्होंने बताया कि जब कोई परपुरुष किसी नारी की प्रशंसा करे, तो उसे सतर्क हो जाना चाहिए. अक्सर यह प्रशंसा नारी के कार्यों से प्रभावित होकर नहीं, बल्कि उसे गलत मार्ग पर ले जाने के लिए की जाती है. उन्होंने कहा कि जब इंद्र धरती पर आए, तो उन्होंने अहिल्या की प्रशंसा की, जिसके कारण अहिल्या को वर्षों तक शिला बनकर रहना पड़ा.भगवान श्रीराम जब बक्सर पहुंचे तो उनके चरणों की धूल से अहिल्या का उद्धार हुआ. आचार्य ने कहा कि यह प्रसंग नारी गरिमा और सम्मान की रक्षा का संदेश देता है.
भक्तों की भारी उपस्थिति :
कथा में बक्सर के गणमान्य लोग और श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए. प्रमुख रूप से भैया जी, काली बाबू, दमरी राय, रामनाथ ओझा, रणधीर ओझा, चिंता हरण ओझा, सिद्धेश्वरानंद बक्सरी, हरेंद्र नाथ तिवारी, गुड्डू तिवारी, रणधीर श्रीवास्तव, बबलू तिवारी, रंजीत राय, झुना पांडेय, पंचानंद वर्मा, अनंत वर्मा, मनोज वर्मा, बिट्टू वर्मा, लल्लू वर्मा, दुर्गेश पांडेय, सत्येंद्र चौबे, शशि भूषण पांडेय, नीरज सिंह, पंडित मुक्तेश्वर शास्त्री, पूना चौबे, सुगंध जी, आजाद सिंह राठौड़, अनिरुद्ध तिवारी, नंद कुमार तिवारी, शिव जी चौधरी, सुरेंद्र वर्मा और जोधा यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालु भी उपस्थित थे.
कथा का आयोजन और व्यवस्थाएं :
लाल बाबा आश्रम के महंत सुरेंद्र जी महाराज के सान्निध्य में इस आयोजन की संपूर्ण व्यवस्था की गई है. श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की विशेष व्यवस्था की गई है और 27 दिसंबर को कथा का समापन विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा.
भक्तों के लिए संदेश :
आचार्य गुप्तेश्वर जी ने कथा के अंत में भक्तों से आग्रह किया कि वे भगवान श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करें और अपने जीवन को धर्म और सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति से ही जीवन का कल्याण संभव है.
कथा में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है और भक्तगण भक्ति भाव से कथा का श्रवण कर रहे हैं।
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