उन्होंने बताया कि आधुनिक समाज में, जहां भौतिक सफलता को प्राथमिकता दी जाती है, धम्मपद की शिक्षा हमें आंतरिक शांति और संतोष की ओर लौटने का मार्ग दिखाती है. उनका शोध इस बात पर केंद्रित है कि किस प्रकार लोभ और इच्छाओं पर नियंत्रण पाकर व्यक्ति आत्मिक समृद्धि प्राप्त कर सकता है.
- बक्सर के अंकित को दर्शन परिषद् बिहार के वार्षिक अधिवेशन में सम्मानित किया गया
- 'धम्मपद में लोभ की अवधारणा' पर शोधपत्र के लिए मिला युवा दार्शनिक पुरस्कार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सदर प्रखंड के नदाँव गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्व. जितेंद्र नाथ द्विवेदी के पौत्र अंकित द्विवेदी ने एक बार फिर जिले का नाम रोशन किया है. भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के मारवाड़ी कॉलेज में आयोजित दर्शन परिषद् बिहार के 46वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में अंकित को डॉ. विजय श्री स्मृति युवा दार्शनिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा अंकित के शोधपत्र "धम्मपद में वर्णित लोभ की अवधारणा : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन" के लिए की गई. यह पुरस्कार हर वर्ष उत्कृष्ट शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले युवा शोधकर्ताओं को दिया जाता है. इस बार अंकित ने अपने शोध की गुणवत्ता और विषय की गहराई से निर्णायक मंडल को प्रभावित किया. पुरस्कार के लिए बिहार सहित झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई शोध छात्र प्रतियोगिता में शामिल थे, लेकिन मूल्यांकन समिति ने नीतिशास्त्र विभाग के अंतर्गत अंकित को विजेता घोषित किया.
शोध और समाज के लिए संदेश :
अंकित द्विवेदी ने अपने शोध में धम्मपद में लोभ की अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला. उनके अनुसार, "धम्मपद न केवल प्राचीन नैतिक शिक्षा का ग्रंथ है, बल्कि यह मानव मनोविज्ञान की गहरी समझ प्रदान करता है." उन्होंने बताया कि आधुनिक समाज में, जहां भौतिक सफलता को प्राथमिकता दी जाती है, धम्मपद की शिक्षा हमें आंतरिक शांति और संतोष की ओर लौटने का मार्ग दिखाती है. उनका शोध इस बात पर केंद्रित है कि किस प्रकार लोभ और इच्छाओं पर नियंत्रण पाकर व्यक्ति आत्मिक समृद्धि प्राप्त कर सकता है.
पुरस्कारों की श्रृंखला में एक और उपलब्धि :
इससे पहले भी अंकित ने विभिन्न मंचों पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अक्टूबर में ही दर्शन परिषद् (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें युवा दार्शनिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अंकित वर्तमान में नव नालंदा महाविहार (संस्कृति मंत्रालय) के बौद्ध अध्ययन विभाग में शोध कर रहे हैं. उनके मार्गदर्शक बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार वर्मा हैं.
अंकित ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक स्तर की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से की है. अब वे अपनी शोध यात्रा को बौद्ध धर्म और दर्शन के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं.
नदाँव गांव में खुशी की लहर :
अंकित की इस उपलब्धि पर उनके गांव नदाँव में खुशी का माहौल है. वार्ड पार्षद मंटु कुमार बबुआजी, भाजयुमो जिलाध्यक्ष सौरभ तिवारी, शिक्षक अभय दुबे, अमित दुबे, दीपक कुमार, अनमोल दुबे, अंकित सिंह, गोलू सिंह और जुल्फिकार अनवर ने अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि अंकित जैसे युवाओं की उपलब्धियां गांव और जिले के अन्य युवाओं को प्रेरित करती हैं.
अंकित द्विवेदी की इस उपलब्धि ने बक्सर को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है और यह उनके परिवार, गांव और जिले के लिए गर्व का क्षण है.
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