कहा कि किसानों को अपनी कृषि पद्धतियों में सुधार करना चाहिए और पराली जलाने जैसी आदतों से बचना चाहिए. जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि ऑर्गेनिक खेती के साथ-साथ सही तकनीकों का उपयोग और पराली प्रबंधन से किसानों को लाभ होगा और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
- कृषि मेले में प्रदर्शित किए गए ऑर्गेनिक उत्पाद, उपकरण और बीज
- जिलाधिकारी ने किसानों को उन्नति की दिशा में प्रेरित किया, पराली जलाने से बचने की दी सलाह
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला मुख्यालय में इस वर्ष का दो दिवसीय कृषि मेला किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर साबित हो रहा है. इस मेले में किसानों द्वारा उपजाए गए विभिन्न कृषि उत्पादों के साथ-साथ कृषि में उन्नति के लिए आवश्यक उपकरण, बीज, और कीटनाशक आदि की प्रदर्शनी भी लगाई गई है. शुक्रवार को इस मेले का उद्घाटन जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल, उप विकास आयुक्त डॉ. महेंद्र पाल, और जिला कृषि पदाधिकारी सहित किसानों ने संयुक्त रूप से फीता काटकर और दीप प्रज्वलित करके किया.
इस कृषि मेले ने बक्सर के किसानों की मेहनत और उनकी समृद्ध कृषि पद्धतियों को दर्शाया गया. प्रदर्शनी में जहां एक ओर बक्सर के किसानों ने ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रस्तुत किया, वहीं दूसरी ओर कृषि उन्नति के लिए आवश्यक उपकरण और बीजों की जानकारी भी दी गई. इस दौरान किसानों ने अपनी उपजाई गई देशी लौकी, 35 किलो का कोहड़ा, और अन्य सब्जियों के उत्पादों का प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शनी किसानों की कड़ी मेहनत और उन्नत कृषि तकनीकों का प्रतीक थी.
इस आयोजन के दौरान, नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया, जिसमें किसानों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाए रखने और पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया गया. नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि किसानों को अपनी मिट्टी की जांच कराने और उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए पराली जलाने से बचना चाहिए. साथ ही यह भी बताया गया कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह कृषि उत्पादन को भी प्रभावित करता है.
जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने इस अवसर पर किसानों से बात करते हुए कहा, "बक्सर के किसान हर क्षेत्र में उन्नत हों, यही हमारा लक्ष्य है." उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को अपनी कृषि पद्धतियों में सुधार करना चाहिए और पराली जलाने जैसी आदतों से बचना चाहिए. जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि ऑर्गेनिक खेती के साथ-साथ सही तकनीकों का उपयोग और पराली प्रबंधन से किसानों को लाभ होगा और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
बक्सर में अब पारंपरिक धान और गेहूं की खेती के साथ-साथ सब्जियों और ऑर्गेनिक खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. कृषि मेले में प्रदर्शित उत्पाद और उपकरण यह दर्शाते हैं कि बक्सर के किसान अब अपनी खेती को उन्नत और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह कृषि मेला किसानों को नए तकनीकी विकल्पों और कृषि में सुधार की दिशा में प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण माध्यम बना.
इस मेले ने यह भी सिद्ध कर दिया कि कृषि में बदलाव लाने के लिए किसानों के साथ-साथ प्रशासन और विभिन्न संगठनों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है. बक्सर में होने वाली इन पहलों से न केवल किसानों का कल्याण होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था में सुधार आएगा.
मौके पर डुमरांव कृषि कॉलेज के प्राचार्य मोहम्मद रियाजुद्दीन अहमद, सहायक प्राध्यापक डॉ प्रवीण पांडेय, डॉ प्रदीप कुमार, कृषि वैज्ञानिक डॉ राम केवल, उद्यान विभाग के सहायक निदेशक, सहायक निदेशक शष्य सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, उप परियोजना निदेशक आत्मा, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी डुमरांव सह सहायक निदेशक शशि भूमि संरक्षण के साथ ही आत्मा कर्मी रघुकुल तिलक, चंदन कुमार समेत कई लोग मौजूद थे.
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