जीवन संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए लक्ष्मण ने बताया कि जब वे स्कूल जाती थीं तो समाज के रूढ़िवादी लोग उन पर पत्थर और गंदगी फेंकते थे. उस समय बालिकाओं को शिक्षित करना पाप माना जाता था.
- आइसा कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर छात्रवास में आयोजित की श्रद्धांजलि सभा
- सावित्रीबाई फुले के जीवन के संघर्षों को किया गया याद
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के अंबेडकर छात्रावास में आज आइसा कार्यकर्ताओं ने देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई. इस अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को याद किया गया.
आइसा नगर सह सचिव लक्ष्मण ने कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले के संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ था. सावित्रीबाई भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और किसान स्कूल की संस्थापक थीं.
सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए लक्ष्मण ने बताया कि जब वे स्कूल जाती थीं तो समाज के रूढ़िवादी लोग उन पर पत्थर और गंदगी फेंकते थे. उस समय बालिकाओं को शिक्षित करना पाप माना जाता था. सावित्रीबाई एक अतिरिक्त साड़ी लेकर जाती थीं ताकि स्कूल पहुँचकर गंदी साड़ी बदल सके.
लक्ष्मण ने बताया कि 5 सितंबर 1848 को सावित्रीबाई फुले और महात्मा ज्योतिराव फुले ने पुणे में नौ छात्राओं के साथ एक विद्यालय की स्थापना की. एक वर्ष में उन्होंने पाँच और विद्यालय खोलने में सफलता प्राप्त की. प्लेग से ग्रसित बच्चे की सेवा करते समय सावित्रीबाई को भी संक्रमण हो गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.
इस श्रद्धांजलि सभा में जय किशोर, आकाश, मधु कुमार, मिथुन कुमार, रितेश कुमार, विशाल कुमार, आशीष कुमार, रोहित कुमार, अमन कुमार और शुभम कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
0 Comments