कहा कि सेवा के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं केवल एक लिपिक हूं. यह कार्यालय मुझे हमेशा अपने परिवार जैसा लगा. उन्होंने कहा कि ईमानदारी और निष्ठा ही किसी भी नौकरी की सबसे बड़ी पूंजी है.
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सेवानिवृत्ति लिपिक को विदाई देते साथी कर्मी |
- जिला पशुपालन कार्यालय बक्सर में चंदेश्वर राम को शॉल-बुके देकर दी गई सम्मानपूर्वक विदाई, अधिकारियों ने गिनाईं उनकी ईमानदारी की मिसालें
- भावुक हुए चंदेश्वर राम बोले– कभी लिपिक नहीं, परिवार का हिस्सा समझा खुद को; कर्मियों ने घर तक पहुंचा किया स्वागत
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला पशुपालन कार्यालय में वर्षों तक सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए लिपिक चंदेश्वर राम के सम्मान में मंगलवार को विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में न सिर्फ शॉल और बुके देकर उन्हें सम्मानित किया गया, बल्कि उनके योगदान को याद कर कई लोग भावुक भी हो गए.
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. रामसेवक साह ने की. उन्होंने कहा कि चंदेश्वर राम ने विभाग के प्रति न सिर्फ निष्ठावान होकर कार्य किया, बल्कि अपने कुशल व्यवहार से सभी के दिलों में जगह बनाई. उनके कार्यकाल की ईमानदारी और जिम्मेदारी की मिसाल दी जाती रहेगी. उन्होंने उनके स्वस्थ, दीर्घायु जीवन की कामना भी की.
एसएचओ डॉ. उमेश चौधरी ने भी अपने संबोधन में चंदेश्वर राम के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे एक मिलनसार, सहज और सौम्य व्यक्तित्व के व्यक्ति हैं. उनके साथ काम करना हर किसी के लिए सुखद अनुभव रहा है.
सम्मान पाकर भावुक हुए चंदेश्वर राम की आंखें नम हो गईं. उन्होंने कहा कि सेवा के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं केवल एक लिपिक हूं. यह कार्यालय मुझे हमेशा अपने परिवार जैसा लगा. उन्होंने कहा कि ईमानदारी और निष्ठा ही किसी भी नौकरी की सबसे बड़ी पूंजी है. आगे भी जब विभाग को मेरी जरूरत होगी, तो मैं हरसंभव सहयोग देने को तैयार रहूंगा.
समारोह में वीएस डॉ. विजय कुमार, निशा कुमारी, पंकज दुबे, राजेश कुमार, प्रीति देवी, संजय मिश्र, तारकेश्वर सहित अन्य कर्मियों ने भी उन्हें अंगवस्त्र व बुके देकर सम्मानित किया. विदाई के बाद कर्मचारीगण उन्हें उनके घर तक पहुंचाने भी साथ गए.
घर पहुंचने पर उनके बड़े बेटे मुकेश कुमार, छोटे बेटे सोनू, बेटी रिंकू कुमारी और पत्नी मालती देवी ने पारिवारिक परंपरा के अनुसार उनका भव्य स्वागत किया. भावनाओं से भरे इस पल ने समारोह को एक यादगार विदाई में बदल दिया.
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