पत्रकार अशोक ओझा का निधन, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर ..

असामयिक निधन ने जिले की पत्रकारिता को गहरा आघात पहुँचाया है. पत्रकारों ने उन्हें सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व का धनी बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.





                                         






- हृदय गति रुकने से 45 वर्षीय पत्रकार का आकस्मिक निधन. पत्रकारों और शुभचिंतकों ने जताया शोक
- दैनिक जागरण से जुड़े रहे और वर्तमान में हिंदुस्तान अखबार में कार्यरत अशोक ओझा को सहकर्मियों ने बताया पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के युवा पत्रकार अशोक ओझा का शनिवार की रात हृदय गति रुक जाने से आकस्मिक निधन हो गया. वह लंबे समय तक दैनिक जागरण अखबार में जुड़े रहे और वर्तमान में हिन्दुस्तान अखबार में कार्यरत थे. उनके निधन की सूचना मिलते ही जिले के पत्रकारों और शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई. श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष डा. शशांक शेखर ने उनके घर जाकर परिजनों से मुलाकात की और हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया.

अशोक ओझा के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में रवि शंकर श्रीवास्तव, शुभनारायण पाठक, मृत्युजय सिंह, मनोज सिंह, अजय सिंह, गुलशन सिंह, सुधीर कुमार, आलोक कुमार,  सुजीत कुमार सिंह, मनीष मिश्रा, कुंदन ओझा, राजकुमार ठाकुर, रंजीत पांडेय, मो मोइन, अशोक सिंह, अरविंद तिवारी, दिलीप ओझा, धर्मेंद्र पाठक, गिरधारी लाल अग्रवाल, धीरज वर्मा, जयमंगल पांडेय, मनोज मिश्रा, राजेश तिवारी, निशांत कमार, शंकर पांडेय, पंकज कमल, सत्येंद्र यादव, अफगान खान, चंद्रकांत निराला, मातिउर्रहमान, अजय राय, उमेश पांडेय, अजय उपाध्याय, बासुकीनाथ पांडेय, रवि मिश्रा, विमल कुमार, बजरंगी लाल गोल्डी वर्मा, सत्येंद्र चौबे, रेहान इदरीसी, पंकज पांडेय, आलोक सिन्हा, मनोज सिन्हा सहित अन्य पत्रकारों ने इसे पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया.

स्व. अशोक ओझा ब्रह्मपुर प्रखंड के देवकुली गांव के मूल निवासी थे और वर्तमान में सोहनीपट्टी में निवासरत थे. उन्होंने पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान बनाई थी. बीते दो दशकों से अधिक समय तक वे बक्सर जिले की सामाजिक, राजनीतिक और जनसरोकार से जुड़ी खबरों को कलमबद्ध कर आम जनता तक पहुँचाते रहे. उनकी रिपोर्टिंग निष्पक्ष और जनहितकारी मानी जाती थी.

अशोक ओझा दैनिक जागरण में लंबे समय तक कार्यरत रहे. उनकी मेहनत और लगन से जिले में दैनिक जागरण को नई ऊंचाई मिली. वर्तमान में वे हिंदुस्तान अखबार की संपादकीय टीम से जुड़े हुए थे. उनके सहकर्मी रहे  दैनिक जागरण अखबार के ब्यूरो चीफ रहे तथा वर्तमान में आरा दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ कंचन किशोर ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा- “नियति इतनी निष्ठुर क्यों है... अशोक ओझा मेरे छोटे भाई जैसे थे. उनके अचानक चले जाने की खबर मिलते ही आंखों के सामने अंधेरा छा गया. बक्सर में 8 वर्ष मेरे सानिध्य में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत रहे और कभी शिकायत का मौका नहीं दिया. जागरण में रहते हुए अपनी भाषाई दक्षता के बल पर खुद को अपग्रेड किया. कोरोना के बाद मिले अवसर ने उन्हें हिंदुस्तान की संपादकीय टीम का हिस्सा बनने का मौका दिया. संस्थागत रास्ता अलग होने के बावजूद अशोक हमेशा वही बड़े भाई वाला भाव देते. अशोक... आपका यूं चले जाना मेरे लिए अत्यंत दुखद है और बक्सर की मीडिया जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.”

उनके असामयिक निधन ने जिले की पत्रकारिता को गहरा आघात पहुँचाया है. पत्रकारों ने उन्हें सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व का धनी बताते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.






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