धर्म का धंधा : कम्बल वाले के नाम पर 2500 का चंदा!

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ-साथ तमाम साधु-संतों के आने का दावा किया गया था. कहा गया था कि यहां चातुर्मास यज्ञ होगा लेकिन वहां अब तक केवल राजस्थान के कंबल वाले बाबा का दरबार ही लग रहा है. जो स्वयं को किसी भी चिकित्सक अथवा वैज्ञानिक से बड़ा बता रोग ठीक करने का पिछले दो महीना में दूसरी बार वह अपना दरबार लगाने पहुंचे हैं. 
एक बार के मुलाकात पर 500 रुपये की पर्ची






- राजपुर के पिपराढ़ में धर्मायोजन के नाम पर जम कर वसूली
- प्रशासन की चुप्पी से उठ रहे कई सवाल

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के पिपराढ़ गांव में कथित धर्मायोजन के नाम पर अंधविश्वास के साथ-साथ अराजकता का संगम देखने को मिल रहा है. कहने को तो यह संत समागम है लेकिन बक्सर जैसी धार्मिक नगरी जहां आदि-अनादि काल से संतों का प्रवास रहा है, उस धरती पर संत के वेश में कई पाखंडी चमत्कार करने का दावा कर रहे हैं. खास बात यह है कि इनका यह दावा है कि जहां चिकित्सा विज्ञान फेल हो जा रहा है वहां उनके चमत्कार से कई असाध्य रोग ठीक हो जाएंगे. लकवा, मधुमेह और कई अन्य रोग कम्बल ओढा कर ठीक किए जाने का दावा हो रहा है. कथित चमत्कारी बाबा का यह कथन है कि पांच बार की मुलाकात में रोग ठीक हो जाएगा. और हर बार की मुलाकात के लिए 500 रुपयों का शुल्क देना होगा. इतना ही नहीं जो दुकानें वहां लगाई जा रही हैं उनसे भी भारी वसूली हो रही है. 

हालांकि, धर्म अध्यात्म से जुड़े लोग यह बताते हैं कि असाध्य रोग ठीक करने जैसा चमत्कार दिखाने की शक्ति किसी भी बाबा के पास नहीं है. लोग स्वयं ही जीवन शैली में बदलाव लाकर अपनी शारीरिक मानसिक क्षमता का संवर्धन कर सकते हैं. लेकिन पांच बार की मुलाकात में रूप ठीक करने का दावा जनता को भ्रमित करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है.
जलभरी में हथियारों का प्रदर्शन

पिपराढ़ में हो क्या रहा है?

सामान्य युवक विमलेश राय से अब गंगा पुत्र बन चुके स्वामी के दिशा निर्देश में राजपुर के पिपराढ़ गांव में धर्मायोजन कराने की बात कही गई थी. दावा यह था कि धर्म आयोजन में भारत भर से साधु महात्मा पहुंचेंगे. बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ-साथ तमाम साधु-संतों के आने का दावा किया गया था. कहा गया था कि यहां चातुर्मास यज्ञ होगा लेकिन वहां अब तक केवल राजस्थान के कंबल वाले बाबा का दरबार ही लग रहा है. जो स्वयं को किसी भी चिकित्सक अथवा वैज्ञानिक से बड़ा बता रोग ठीक करने का पिछले दो महीना में दूसरी बार वह अपना दरबार लगाने पहुंचे हैं. 
स्वर्णमुकुट पहने गंगा पुत्र

निजी सुरक्षा कर्मियों के घेरे में बाबा, हिस्ट्रीशीटर भी दे रहे संरक्षण :

बाबा गंगा पुत्र और बाबा कंबल वाले को आम लोगों से कोई असुरक्षा न हो इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. यह इंतजाम निजी तौर पर किए गए हैं. बाहर से बाउंसर से बुलाए गए हैं, इसके अतिरिक्त कई हिस्ट्रीशीटर और कई शस्त्रधारी लोग भी बाबा की सुरक्षा में लगे हुए हैं. हालांकि उन्हें जनता से इतना भय क्यों है? यह बात अभी तक का स्पष्ट नहीं हो सकी है.


बाबा के असिस्टेंट का दावा - प्रति व्यक्ति सात हजार रुपये तक का हो रहा खर्च, इसीलिए वसूली जरूरी :

मन में उठ रहे कई सवालों को लेकर बाबा गंगा पुत्र के मोबाइल फोन संख्या 7000757662 पर बात करने पर उनके असिस्टेंट प्रिंस कुमार ने फोन उठाया. सवाल तो बहुत थे लेकिन उनसे केवल इतना पूछा गया कि कंबल वाले बाबा से मिलने के नाम पर हर बार 500 रुपये की वसूली क्यों हो रही है तो उनका यह जवाब था कि यहां जो इंतजाम किए गए हैं उनमें प्रति व्यक्ति औसतन सात हजार रुपये का खर्च आ रहा है. ऐसे में 500 रुपयों की राशि तो बहुत ही कम है. 

जलभरी में भी हथियारों का हुआ प्रदर्शन :

सोमवार को यज्ञ के लिए जलभरी की गई. जलभरी के दौरान निजी सुरक्षा गर्मियों के साथ-साथ कई चर्चित लोग हथियारों को लेकर शामिल हुए. जबकि अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय से कार्यक्रम के लिए जो अनुमति मिली है उसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि किसी भी प्रकार से अस्त्र शस्त्रों का अनावश्यक प्रदर्शन नहीं करना है.

क्या किसी हादसे का इंतज़ार कर रहा प्रशासन?

यज्ञ स्थल पर पहुंचने के लिए एक ही सिंगल-वे रोड है. अगर कोई भी आकस्मिक परिस्थिति हो तो उससे निबटना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी. हालांकि, अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा कार्यक्रम की अनुमति दे दी गई है. खास बात यह है कि यज्ञ स्थल पर रसोई गैस सिलेंडर में आग लगने की घटना भी सामने आई थी. यह संयोग ही था कि बाबा गंगापुत्र की एयरकंडिशंड कुटिया इसकी चपेट में नहीं आई. वरना हादसा और बड़ा हो सकता था.

प्रशासन की मौन सहमति!

यज्ञ के नाम पर जिस तरह से अंधविश्वास फैलाया जा रहा है, जिस तरह से अराजकता देखने को मिल रही है और जिस तरह से शस्त्रों का प्रदर्शन हो रहा है. इस पर प्रशासन क्या कह रहा है यह जानने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्र से बात करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. बहरहाल, देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कोई ठोस पहल करता है अथवा अपनी मौन सहमति देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है.




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