वीडियो : कोलकाता की घटना के विरोध में मार्च निकाल सरकार से पूछा सवाल - आखिर कब तक?

यह मानसिक विकृति है और ऐसे मानसिक विकृत लोगों को कठोर सजा देने के साथ-साथ इनका सामाजिक बहिष्कार बिल्कुल ही जरूरी है, ताकि कोई भी दरिंदा इस तरह की दरिंदगी करने से पहले सौ बार सोचे.












- बक्सर में युवाओं ने निकाला रोड मार्च
- सरकार और सिस्टम को कठघरे में किया खड़ा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और उसकी निर्मम तरीके से हत्या किए जाने के बाद एक तरफ जहां पूरे देश में उबाल है वहीं दूसरी तरफ बक्सर में भी सामाजिक संगठन के लोग इसके निंदा करते हुए दोषियों को कठोर सजा देने एवं उनका सामाजिक बहिष्कार किए जाने की बात कह रहे हैं. बक्सर में युवा सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुशवाहा के नेतृत्व में एक पैदल मार्च निकालकर कोलकाता की घटना का विरोध किया गया. यह मार्च नगर के ज्योति प्रकाश चौक से निकलकर वीर कुंवर सिंह चौक तक गया जहां सरकार और सिस्टम के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए यह सवाल किया गया कि आखिर कब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेगी और सरकार तथा प्रशासन हाथ पैर हाथ धरे बैठे रहेंगे? 

मार्च का नेतृत्व कर रहे विनय कुशवाहा ने कहा कि हमारा सिस्टम से यह सवाल है कि आखिर कब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी? उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह की घटनाएं होती हैं तो लड़कियों के पहनावे और उनके कपड़ों पर सवाल उठाए जाते हैं. लेकिन कोई यह क्यों नहीं बता पाता कि जब तीन साल की मासूम के साथ दुष्कर्म होता है तो इसे क्या कहेंगे? कहीं ना कहीं यह मानसिक विकृति है और ऐसे मानसिक विकृत लोगों को कठोर सजा देने के साथ-साथ इनका सामाजिक बहिष्कार बिल्कुल ही जरूरी है, ताकि कोई भी दरिंदा इस तरह की दरिंदगी करने से पहले सौ बार सोचे.

मार्च में शामिल संध्या कुशवाहा ने कहा कि दिल्ली की निर्भया हो अथवा कोलकाता की चिकित्सक सभी सरकारें महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल प्रतीत हो रही हैं. ऐसे कुकर्मियों को इस तरह की सजा देनी चाहिए जिस दरिंदगी के साथ इन्होंने किसी महिला का बलात्कार अथवा यौन शोषण किया हो.

मार्च में शामिल शिक्षाविद सरोज कुमार सिंह ने कहा कि सरकारों को राजनीति छोड़कर इस मामले में कठोर और त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि देश में कहीं भी इस तरह की घटना दोबारा ना हो सके. 

निर्मल कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह की घटनाओं में आम लोगों को सब कुछ समझ में आ रहा है और वह जानते हैं कि किस तरह से ऐसे दरिंदों को सजा देनी है, लेकिन पता नहीं क्यों सरकार और सिस्टम को इसके बारे में समझ में नहीं आता. आज कितनी निर्भया दरिंदों की शिकार हो रही हैं. लेकिन सभी हाथ पर हाथ धर कर बैठे हैं.

मार्च में मौजूद अन्य लोगों ने भी यह कहा कि इस तरह के कुकर्मियों को सजा देने के साथ-साथ इनका सामाजिक बहिष्कार किए जाने की भी आवश्यकता है. चाहे वह कुकर्मी अपने बीच का भी हो लेकिन उसे सजा देने में अथवा उसका सामाजिक बहिष्कार करने में तनिक भी नहीं हिचकना चाहिए.

इस मार्च में विनय कुशवाहा के अतिरिक्त प्रह्लाद मिश्र, संध्या कुशवाहा, प्रेमा देवी, कुमकुम देवी, बिट्टू पांडेय, विकाश कुशवाहा, अजय तिवारी, निर्मल कुमार सिंह कुशवाहा और सरोज कुमार सिंह मौजूद रहे.

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