उन्होंने कुशवाहा समाज से आने वाले एनडीए के नेताओं पर भी टिप्पणी की. उनका कहना था कि अगर सम्राट चौधरी या उपेंद्र कुशवाहा कोइरी हैं, तो उन्हें महारैली का समर्थन करना चाहिए, अन्यथा कोइरी समाज उन्हें वोट नहीं देगा.
- नीतीश कुमार की जातीय गणना को बताया खानापूर्ति
- कोइरी समाज की जनसंख्या को कम दिखाने का आरोप
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कराई गई जातीय गणना को पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने केवल दिखावा बताते हुए कड़ी आलोचना की. उन्होंने रविवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि इस गणना में किसी भी जाति की जनसंख्या सटीक नहीं दिखाई गई है. नागमणि का कहना था कि जातीय गणना को बिना वास्तविकता के आधार पर कुछ विशेष अधिकारियों की मिलीभगत से मनमाने तरीके से संपन्न किया गया है. उन्होंने कुशवाहा समाज से आने वाले नेताओं पर भी निशाना सदा और कहा कि उन्होंने भी समाज के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जैसे लोगों को मीर जाफर और जयचंद बताया.
उन्होंने जातीय जनगणना पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोइरी समाज की वास्तविक जनसंख्या 12 प्रतिशत है, जबकि इसे घटाकर केवल 4.5 प्रतिशत दिखाया गया है. दांगी समाज की संख्या भी 2 प्रतिशत बताई जा रही थी, जिसे घटाकर आधा प्रतिशत कर दिया गया है. इसी प्रकार, भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत जातियों की जनसंख्या को भी कम कर दिखाया गया है.
नागमणि ने आगे कहा कि बिहार सरकार ने जो नीति अपनाई है, उसके अनुसार जिनकी जनसंख्या अधिक है, उन्हें अधिक हिस्सेदारी मिलेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने कोइरी समाज की संख्या को कम दिखाकर उनके हक़ों की हत्या की है. इस संदर्भ में, आगामी 23 फरवरी 2025 को पटना के गांधी मैदान में एक कोइरी आक्रोश महारैली आयोजित की जाएगी, जिसके सफल आयोजन के लिए बक्सर जिले के गांवों में 8 नवंबर तक बैठकें की जाएंगी.
उन्होंने कुशवाहा समाज से आने वाले एनडीए के नेताओं पर भी टिप्पणी की. उनका कहना था कि अगर सम्राट चौधरी या उपेंद्र कुशवाहा कोइरी हैं, तो उन्हें महारैली का समर्थन करना चाहिए, अन्यथा कोइरी समाज उन्हें वोट नहीं देगा.
अभिमन्यु सिंह ने इस विषय पर दुख जताते हुए कहा कि जातीय गणना में कोइरी जाति को कम दर्शाया गया है और हमारे समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने पूर्व मंत्री को यह भी आश्वासन दिया कि बक्सर से कोइरी आक्रोश महारैली में 20,000 लोग भाग लेंगे और बिहार सरकार को फिर से जनगणना कराने के लिए मजबूर करेंगे.
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