लापरवाह राजस्व कर्मियों पर गिरी गाज़, डीएम ने दिया वेतन रोकने का निर्देश

डीएम ने भूमि सुधार उप समाहर्ता बक्सर और डुमरांव को निर्देश दिया कि इस प्रकार के 20-20 मामलों की जांच एक सप्ताह के भीतर पूरी कर रिपोर्ट सौंपें. साथ ही, सीओ को निर्देश दिया गया कि सबसे पुराने 5 मामलों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराएं.
बैठक में उपस्थित डीएम, एडीएम, डीडीसी और एसडीएम









                                           



- भूमि विवाद निबटान में तेजी लाने के निर्देश
- दाखिल-खारिज मामलों के निपटान में देरी पर डीएम सख्त

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अंचल कार्यालय में जहां दाखिल-खारिज से लेकर परिमार्जन के मामले महीनों और वर्षों से लंबित रह रहे हैं, जिसके कारण एक तरफ जहां लोगों को परेशानी हो रही है वहीं दूसरी तरफ भूमि विवाद के मामले भी बढ़ रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन इस स्थिति को लेकर बेहद गंभीर है. जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने इस संबंध में सख्त रुख अपनाते हुए राजस्व समिति एवं आंतरिक संसाधन की समीक्षात्मक बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए.

लंबित मामलों पर सख्त कार्रवाई :

बैठक के दौरान डीएम अंशुल अग्रवाल ने नवम्बर 2024 की राज्य स्तरीय रैकिंग में जिले की खराब स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने अपर समाहर्ता, भूमि सुधार उप समाहर्ता और सीओ को निर्देश दिया कि दाखिल-खारिज और परिमार्जन मामलों में एक सप्ताह के भीतर अपेक्षित प्रगति लाएं. डीएम ने स्पष्ट किया कि जिले में लंबित मामलों का जल्द निपटान प्राथमिकता में है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

सबसे कम प्रगति वाले पांच राजस्व कर्मियों का एक दिन का वेतन रोकते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है. इनमें प्रकाश कुमार (जासो, बक्सर), श्रीकांत सिंह (रामपुर, चौसा), बजरंग कुमार (कंझरूआ, डुमरांव), कृष्ण मोहन शर्मा (राजपुर, सिमरी) और लाल जी प्रसाद (वैना, नावानगर) शामिल हैं. डीएम ने कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही से जनता को काफी परेशानी होती है और यह भूमि विवाद बढ़ने का कारण बनता है.

गलत सर्वेक्षण पर कार्रवाई :

अभियान बसेरा-2 के तहत गलत सर्वेक्षण करने वाले राजस्व कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. डीएम ने सभी सीओ को आदेश दिया कि ऐसे कर्मचारियों की पहचान कर उनके विरुद्ध प्रपत्र 'क' गठित करें और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

डीएम ने भूमि सुधार उप समाहर्ता को निर्देश दिया कि अंचल निरीक्षण के दौरान गलत सर्वेक्षण या लापरवाही करने वाले सीओ और राजस्व कर्मचारियों की पहचान कर उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद से जुड़ी शिकायतों के निस्तारण में किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.

दाखिल-खारिज मामलों का निपटान :

बैठक के दौरान यह पाया गया कि सीओ स्तर पर 35 और 75 दिनों से अधिक समय से दाखिल-खारिज के मामले लंबित हैं. डीएम ने निर्देश दिया कि इन सभी मामलों का एक सप्ताह के भीतर निपटारा किया जाए. उन्होंने कहा कि परिमार्जन प्लस विभाग की प्राथमिकता में है और इसका संबंध सीधे तौर पर आम जनता से जुड़ा हुआ है.

डीएम ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी स्तर पर नियमों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है और जांच के दौरान यह प्रमाणित होता है तो संबंधित राजस्व कर्मियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.

विशेष जांच के आदेश :

बैठक में यह भी पाया गया कि कई मामलों को रिवर्ट किया गया है, जिनकी जांच आवश्यक है. डीएम ने भूमि सुधार उप समाहर्ता बक्सर और डुमरांव को निर्देश दिया कि इस प्रकार के 20-20 मामलों की जांच एक सप्ताह के भीतर पूरी कर रिपोर्ट सौंपें. साथ ही, सीओ को निर्देश दिया गया कि सबसे पुराने 5 मामलों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराएं.

चौसा में सबसे ज्यादा लंबित मामले :

चौसा अंचल में 75 दिनों से अधिक दाखिल-खारिज के सबसे अधिक मामले लंबित पाए गए. डीएम ने सीओ चौसा का एक दिन का वेतन रोकते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है.

इसके अलावा, मापी संबंधी मामलों की समीक्षा के दौरान भी कई खामियां पाई गईं. डीएम ने स्पष्ट किया कि ऑनलाइन और ऑफलाइन मापी से जुड़े सभी लंबित मामलों का जल्द निपटान किया जाए.

उन्होंने कृषि गणना कार्य को भी 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया.










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