विकास कार्यों में सफेद बालू के इस्तेमाल पर उठे सवाल

नगर में चल रहे विकास कार्यों में इसका खुलकर इस्तेमाल हो रहा है. आम जनता के लिए सफेद बालू पाना मुश्किल है, जबकि ठेकेदारों के लिए यह आसानी से उपलब्ध हो रहा है. इस स्थिति ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.









                                           



- ठेकेदारों के लिए सफेद बालू आसानी से उपलब्ध
- प्रशासन की नाक के नीचे सरकारी कार्यों में हो रहा इस्तेमाल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले में सफेद बालू के खनन पर प्रशासन ने रोक लगा रखी है, लेकिन नगर में चल रहे विकास कार्यों में इसका खुलकर इस्तेमाल हो रहा है. आम जनता के लिए सफेद बालू पाना मुश्किल है, जबकि ठेकेदारों के लिए यह आसानी से उपलब्ध हो रहा है. इस स्थिति ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

गंगा नदी से सफेद बालू की निकासी पर प्रशासन ने सख्त पाबंदी लगा रखी है. कृतपुरा, सारीमपुर और बड़का गांव जैसे क्षेत्रों से सफेद बालू की निकासी पहले की जाती थी, लेकिन रोक के बाद इसे अवैध घोषित कर दिया गया. प्रशासन का दावा है कि बालू खनन करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बावजूद इसके, सरकारी कार्यों में सफेद बालू का बेधड़क इस्तेमाल हो रहा है.

प्रशासन की भूमिका संदिग्ध :

नगर में कई स्थानों पर विकास कार्यों में सफेद बालू का प्रयोग देखा जा सकता है. आश्चर्य की बात यह है कि ये कार्य प्रशासन की निगरानी में ही किए जा रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि जब खनन पर रोक है, तो ठेकेदारों के पास सफेद बालू कहां से आ रहा है? प्रशासन इस ओर से आंखें मूंदे हुए है.

आगामी बैठक और तैयारियां :

खनन विभाग के अनुसार, 3 जनवरी को सफेद बालू के टेंडर को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसे लेकर कलेक्ट्रेट में बैठक आयोजित की जाएगी. खनन निरीक्षक आकाश कुमार ने बताया कि सफेद बालू की निकासी फिलहाल पूरी तरह अवैध है और किसी भी सूचना पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी. हाल ही में कई बार अवैध खनन करने वालों को पकड़कर उन पर कानूनी कार्रवाई की गई है.

बक्सर में सफेद बालू का अवैध खनन और सरकारी कार्यों में इसका उपयोग प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है. आगामी टेंडर प्रक्रिया से उम्मीद की जा रही है कि सफेद बालू की उपलब्धता को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी और अवैध खनन पर पूरी तरह लगाम लगाई जा सकेगी.









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