वीडियो : न्यायालयों में ठप रहा काम, लाखों के राजस्व की क्षति, नहीं हुई जमानत याचिकाओं की सुनवाई, रिहाई भी नहीं ..

कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय को इस मुद्दे पर शीघ्रता से विचार करना चाहिए. उन्होंने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि अभी तक पटना उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की जायज मांगों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?











                                           

- जिला न्यायालय परिसर में धरना, कर्मचारियों की मांगों पर समर्थन में उठी आवाज
- चार सूत्री मांगों पर अडिग न्यायालय कर्मचारी, हाईकोर्ट से जल्द समाधान की मांग

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला न्यायालय के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते गुरुवार को जिले के सभी न्यायालयों में न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप हो गया. इस हड़ताल का असर बक्सर और डुमरांव स्थित सभी न्यायालयों में स्पष्ट रूप से देखा गया, जहां न तो किसी कैदी को प्रस्तुत किया जा सका और न ही जमानत संबंधी कोई सुनवाई हो पाई. इससे लाखों रुपयों के राजस्व की क्षति भी हुई.

बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष अखौरी राकेश कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि राज्यभर में न्यायालय कर्मचारी अपनी चार सूत्री मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उनकी मुख्य मांगों में स्नातक वेतनमान एवं प्रोन्नति, शत प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति, चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की कालबद्ध प्रोन्नति और राज्य कैडर की स्थापना शामिल हैं.

लाखों रुपयों के राजस्व की क्षति, नहीं हुई बंदियों की रिहाई  

हड़ताल के कारण न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया. तीन लाख रुपये का न्याय शुल्क और 50 हजार रुपये की उत्पाद अधिनियम जुर्माने की वसूली नहीं हो सकी. वहीं, किसी भी कैदी की रिहाई या जमानत आदेश निर्गत नहीं हुआ. अधिवक्ता संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय ने कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि पटना उच्च न्यायालय को इस मुद्दे पर शीघ्रता से विचार करना चाहिए. उन्होंने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि अभी तक पटना उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की जायज मांगों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

धरनास्थल पर मौजूद बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के सदस्यों ने कर्मचारियों की एकता को बनाए रखने पर जोर दिया. संघ के सदस्य अजय कुमार, कमर आलम, संजय कुमार, संतोष कुमार द्विवेदी, सीमा रंजन, विनय सिंह, संतोष कुमार, जीशान खान और अफरोज आलम ने भी कर्मचारियों की मांगों पर समर्थन में अपने विचार रखे.

न्यायिक कार्य प्रभावित, कैदियों की पेशी रुकी :

हड़ताल का असर केवल प्रशासनिक प्रक्रिया पर ही नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर भी पड़ा. कैदियों को जेल से न्यायालय लाने की प्रक्रिया रुक गई और न तो उनकी पेशी हो सकी और न ही जमानत संबंधी आदेश.

न्यायालय कर्मचारियों की हड़ताल ने न केवल न्यायिक कार्यों को प्रभावित किया, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को भी झटका दिया.

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