उपेक्षित बस्तियों में पहुंची फाउंडेशन स्कूल की छात्राएं, नजदीक से जाना महिलाओं का संघर्ष

कहा कि समाज की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि वह महिलाओं को किस हद तक समान अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की आधी आबादी महिलाएं होती हैं, और जब तक उन्हें समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक समाज की पूर्णता संभव नहीं है.











                                           


- महिला सशक्तिकरण पर फाउंडेशन स्कूल में सेमिनार का आयोजन
- नगर की चेयरपर्सन और साइबर थाना डीएसपी रहीं मुख्य अतिथि

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर फाउंडेशन स्कूल, बक्सर में महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने और लैंगिक समानता की वकालत करने के उद्देश्य से एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में छात्राओं ने महिला सशक्तिकरण पर शोध प्रस्तुत किया और समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर किया.

फाउंडेशन स्कूल की कक्षा 8वीं और 9वीं की छात्राओं ने हाल ही में शहर की उपेक्षित बस्तियों में जाकर महिलाओं की स्थिति, संघर्ष, समस्याओं और उनके जीवन की वास्तविकता को समझने के लिए गहन शोध किया था. इस शोध के आधार पर छात्राओं ने अपनी रिपोर्ट तैयार की और सेमिनार में महिला सशक्तिकरण विषय पर वार्ता आयोजित की. इस अवसर पर नगर की चेयरपर्सन कमरून निशा एवं साइबर थाना डीएसपी रजिया सुल्ताना मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं.

मुख्य अतिथि कमरून्न निशा ने छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सशक्तिकरण केवल शब्दों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे व्यवहारिक जीवन में भी अपनाना आवश्यक है. उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शिक्षा और आत्मनिर्भरता ही महिलाओं को सशक्त बनाने का सबसे सशक्त माध्यम हैं. साइबर थाना डीएसपी रजिया सुल्ताना ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी समाज की प्रगति उसके महिलाओं की स्थिति पर निर्भर करती है. उन्होंने छात्राओं को आत्मरक्षा और साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक किया.

शिक्षा को बनाना होगा रूपांतरकारी

कार्यक्रम में सोशल साइकोलोजिस्ट राजेश्वर सर ने शिक्षा को रूपांतरकारी बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि केवल पुस्तकीय ज्ञान से सशक्तिकरण संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सामाजिक अनुभवों और शोध कार्यों की आवश्यकता होती है.

विद्यालय के निदेशक प्रदीप मिश्रा ने छात्राओं के शोध कार्यों की सराहना की और कहा कि समाज के उपेक्षित वर्ग को सशक्त बनाने के लिए ठोस समाधान की आवश्यकता है. उन्होंने छात्राओं को प्रेरित किया कि वे अपने शोध कार्यों को आगे बढ़ाकर समाज में जागरूकता फैलाएं. प्रधानाचार्य विकास ओझा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और समानता के अधिकार केवल पढ़ाई का विषय नहीं हैं, बल्कि इन्हें व्यवहार में लाने की जरूरत है.

समाज के प्रति संवेदनशील बनाना आवश्यक

इस मौके पर विद्यालय के उपप्रधानाचार्य मनोज त्रिगुण ने कहा कि शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वे अपने विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखें, बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील भी बनाएं. उन्होंने कहा कि जब बच्चे समाज के वंचित वर्ग की समस्याओं को समझेंगे, तभी वे उनके लिए कुछ करने की प्रेरणा पाएंगे.
स्मृति चिन्ह के साथ छात्राएं, साथ में मौजूद साइबर डीएसपी

सेमिनार में उपस्थित शिक्षिकाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि समाज की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि वह महिलाओं को किस हद तक समान अवसर प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की आधी आबादी महिलाएं होती हैं, और जब तक उन्हें समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक समाज की पूर्णता संभव नहीं है.

सराहा गया छात्राओं का प्रयास

सेमिनार में जीडी मिश्रा इंस्टिट्यूट ऑफ हायर स्टडीज के प्रधानाचार्य डॉ. जे.आर. चौधरी ने छात्राओं के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि इस तरह के शोध समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बन सकते हैं. इस अवसर पर मानव भारती इंटरनेशनल स्कूल के सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अमित सरकार एवं अतुल आनंद ने भी छात्राओं की रिपोर्ट को सराहा.

विद्यालय के सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने छात्राओं के शोध कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास समाज में महिलाओं की स्थिति को समझने और सुधारने में सहायक होगा. कार्यक्रम में कॉलेज के छात्र, प्रोफेसर और अन्य शिक्षाविद भी शामिल हुए और उन्होंने छात्राओं के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

समाज में बदलाव की ओर एक कदम

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित यह सेमिनार नारी सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाने और छात्राओं को सामाजिक वास्तविकताओं से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था. इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि महिला सशक्तिकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर अपनाना चाहिए.











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