- बक्सर की महिला ने लगाया गंभीर आरोप, इलाज के नाम पर ली मोटी रकम
- जिला उपभोक्ता आयोग ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : कृत्रिम गर्भधारण (IVF) के माध्यम से संतान सुख पाने का सपना देख रही एक महिला के लिए यह सपना दुःस्वप्न में बदल गया. पटना स्थित इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 42 लाख 87 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
खलासी मोहल्ला, बक्सर निवासी संगीता देवी को विज्ञापन के माध्यम से जानकारी मिली थी कि इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल नि:संतान दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति का इलाज उपलब्ध कराता है. विज्ञापन में दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करने के बाद संगीता देवी एवं उनके पति रवि कुमार गुप्ता को कई बार फोन कर पटना बुलाया गया. वहां चिकित्सकीय जांच के बाद दोनों को स्वस्थ पाते हुए कृत्रिम भ्रूण धारण प्रक्रिया के लिए 2 लाख 37 हजार रुपये जमा कराए गए.
दी गई तिथि पर जब संगीता देवी अस्पताल पहुंचीं तो बताया गया कि उनका शुगर लेवल सामान्य नहीं है और थायराइड भी बढ़ा हुआ है. उन्हें कुछ दिन दवा लेकर पुनः आने की सलाह दी गई. इसके बाद कई महीनों तक आवेदिका अस्पताल जाती रही, लेकिन हर बार दवा लिखकर लौटा दिया गया. इस दौरान न तो कृत्रिम गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू हुई, न ही कोई ठोस इलाज किया गया.
समस्या तब और गंभीर हो गई जब संगीता देवी की तबीयत बिगड़ने लगी. दूसरे चिकित्सक से परामर्श लेने पर खुलासा हुआ कि अस्पताल ने 50 दिनों तक लगातार ओवरडोज दवाइयां दी थीं, जिससे उनकी स्थिति मरणासन्न हो गई थी. इस लापरवाही को लेकर अस्पताल को वकालतन नोटिस भी भेजा गया था, परंतु न तो सेवा प्रदान की गई और न ही जमा की गई राशि लौटाई गई.
परिवाद पत्र संख्या 32/2025 के तहत बुधवार को जिला उपभोक्ता आयोग में मामले की सुनवाई हुई. सेवानिवृत्त न्यायाधीश सह अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह एवं सदस्य राजीव कुमार की खंडपीठ ने मामले को ग्रहण कर विपक्षी अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.
बताते चलें कि पीड़िता की ओर से अधिवक्ता विष्णुदत्त ने पैरवी की. मामले के प्रकाश में आने के बाद जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. अब देखना यह होगा कि आयोग के सामने विपक्षी अस्पताल किस तरह अपना पक्ष रखता है और पीड़ित परिवार को न्याय कब तक मिल पाता है.
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