रामरेखा घाट का विवाह मंडप भी पानी में डूब गया है. गंगा की सहायक नदियां ठोरा और कर्मनाशा भी उफान पर हैं, जिससे जिले के कई निचले इलाकों में पानी फैलने लगा है. विशेषकर चौसा प्रखंड के बनारपुर पंचायत के खेतों और रिहायशी इलाकों में पानी भर चुका है.
- रामरेखा घाट की विवाह मंडप जलमग्न, ऊपर तक पहुंचा पानी
- बाढ़ की आशंका से प्रशासन सतर्क, चार प्रखंडों में बढ़ाई गई निगरानी
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : गंगा नदी का जलस्तर बक्सर में लगातार तेजी से बढ़ रहा है और अब यह चेतावनी बिंदु के बेहद करीब पहुंच चुका है. बुधवार को जिलाधिकारी विद्यानंद सिंह ने रामरेखा घाट समेत विभिन्न गंगा घाटों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि संभावित बाढ़ को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य के लिए पूरी तैयारी सुनिश्चित की जाए. उनके साथ पुलिस अधीक्षक शुभम आर्य, अनुमंडल पदाधिकारी अविनाश कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी धीरज कुमार भी मौजूद रहे.
गंगा का जलस्तर 59.07 मीटर पर, खतरे की ओर बढ़ता हालात
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, बक्सर से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक गंगा का जलस्तर 59.07 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. यह चेतावनी बिंदु 59.32 मीटर से सिर्फ 25 सेंटीमीटर नीचे है. जिले में गंगा का खतरे का निशान 60.32 मीटर निर्धारित है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, जलस्तर अभी प्रति घंटे लगभग 6 सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है, जिससे स्थिति अगले 48 घंटे में और गंभीर हो सकती है.
रामरेखा घाट पूरी तरह जलमग्न, सहायक नदियां भी उफान पर
बक्सर के प्रमुख घाट रामरेखा का विवाह मंडप भी पानी में डूब गया है. गंगा की सहायक नदियां ठोरा और कर्मनाशा भी उफान पर हैं, जिससे जिले के कई निचले इलाकों में पानी फैलने लगा है. विशेषकर चौसा प्रखंड के बनारपुर पंचायत के खेतों और रिहायशी इलाकों में पानी भर चुका है, जिससे फसल और मकानों को नुकसान की आशंका बढ़ गई है.
प्रशासन ने तेज की तैयारी, तटबंधों पर विशेष निगरानी
प्रशासन ने तटीय इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है. कोइलवर तटबंध पर 24 घंटे चौकीदारों की तैनाती कर दी गई है और 5 लाख सैंड बैग तैयार रखे गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तटबंधों को मजबूत किया जा सके. सभी अंचल अधिकारियों को बाढ़ से संबंधित तैयारियां पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है.
चार प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं
गंगा में बाढ़ आने पर जिले के चौसा, सिमरी, चक्की और ब्रह्मपुर प्रखंडों के दर्जनों गांव प्रभावित होते हैं. प्रशासन का अनुमान है कि इस बार बाढ़ की स्थिति बनने पर करीब 1.25 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में जिला आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राहत शिविरों की पहचान, नावों की उपलब्धता और राहत सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है.
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