वीडियो : विश्वामित्र सेना की 'सनातन रथ यात्रा' को पटना से मिली हरी झंडी, पूरे बिहार में जगाई जाएगी संस्कृति की चेतना ..

गुरुवार को पटना स्थित एक निजी होटल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने “सनातन रथ यात्रा” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस रथ यात्रा का उद्देश्य राज्यभर के धार्मिक स्थलों को न्याय दिलाना और सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाना है. 









                                           




  • राजकुमार चौबे बोले - अब यह लड़ाई बक्सर तक सीमित नहीं रहेगी
  • बिहार के धार्मिक स्थलों को न्याय दिलाने के लिए रथ यात्रा करेगी जनजागरण

बक्सर टॉप न्यूज, पटना : सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का संकल्प लेकर निकली विश्वामित्र सेना अब बिहार के कोने-कोने में धर्म चेतना की अलख जगाएगी. इसी कड़ी में गुरुवार को पटना स्थित एक निजी होटल में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने “सनातन रथ यात्रा” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस रथ यात्रा का उद्देश्य राज्यभर के धार्मिक स्थलों को न्याय दिलाना और सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाना है.

राजकुमार चौबे ने कहा कि यह आंदोलन अब सिर्फ बक्सर की सीमा तक सीमित नहीं रहेगा. बिहार के हर उस जिले में यह रथ यात्रा पहुंचेगी, जहां सनातन संस्कृति उपेक्षा का शिकार हुई है. उन्होंने कहा – “बिहार में चाहे गोपालगंज का थावे मंदिर हो, आरा का सनातन केंद्र, भभुआ की मुंडेश्वरी देवी या वाल्मीकिनगर – सब जगह हमारी संस्कृति की जड़ें कमजोर हुई हैं. राज्य सरकार इन स्थलों की उपेक्षा कर रही है, इसलिए अब यह हमारी लड़ाई है.”

उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा – “अब लोग हमारी इस लड़ाई को समझने लगे हैं. यह सिर्फ धार्मिक आंदोलन नहीं, बल्कि आत्मगौरव और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अभियान है. यदि हम एक हैं, तो सुरक्षित हैं.”

कार्यक्रम में बक्सर से आए विश्वामित्र सेना के सदस्य, पूज्य पंडितों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रही. सभी ने एकजुट होकर इस अभियान को पूरे राज्य में फैलाने का संकल्प लिया. इस दौरान शाहाबाद संयोजक कृष्ण शर्मा, राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक उपाध्याय, जिला संयोजक मोहित बाबा, गोवर्धन चौबे, कपिल मुनि पांडे, प्रदीप यादव, मुनमुन चौबे, अभय पंडित, राहुल पांडे और बिरजू प्रसाद भी उपस्थित रहे.

विश्वामित्र सेना की यह पहल राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को नई ऊर्जा देने वाली मानी जा रही है.

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