संयममय जीवन ही उत्तम साधना है : आचार्य धर्मेन्द्र

बताया कि भगवान की कृपा से पापी भी उद्धार पा सकता है. अजामिल मोक्ष का उदाहरण देते हुए उन्होंने श्रीहरि नाम की महिमा का विस्तार से वर्णन किया. प्रह्लाद चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि उत्तम कुल में ही उत्तम संतान हो, यह आवश्यक नहीं. हिरण्यकश्यप जैसे राक्षसों के बीच भक्त प्रह्लाद का जन्म इसका प्रमाण है.









                                           


  • गंगा की शुद्धि से लेकर रामलीला तक, श्रीमद्भागवत कथा में प्रवाहित हुआ सनातन धर्म का जीवनसार
  • ब्रह्मपुरपीठाधीश्वर की सन्निधि में उमड़ा भक्तों का सैलाब, श्रद्धा से सराबोर हुआ लालबाबा आश्रम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर लालबाबा आश्रम, सतीघाट बक्सर में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा के चतुर्थ दिवस पर ब्रह्मपुरपीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र (पूर्व कुलपति) ने अपने ओजस्वी प्रवचन में संयममय जीवन को उत्तम साधना बताया. विश्व प्रसिद्ध त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के समर्थ शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के कृपापात्र आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि नारायण बड़े कृपालु हैं, बस उन्हें श्रद्धा से स्मरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नारायण को पुकारने में देर हो सकती है, लेकिन उनकी कृपा में कभी देर नहीं होती.

गजेन्द्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान की कृपा से पापी भी उद्धार पा सकता है. अजामिल मोक्ष का उदाहरण देते हुए उन्होंने श्रीहरि नाम की महिमा का विस्तार से वर्णन किया. प्रह्लाद चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि उत्तम कुल में ही उत्तम संतान हो, यह आवश्यक नहीं. हिरण्यकश्यप जैसे राक्षसों के बीच भक्त प्रह्लाद का जन्म इसका प्रमाण है.

उन्होंने गृहस्थों को दीति और क्याधू के जीवन व्यवहार से सीख लेने की सलाह दी. सूर्यवंश की अम्बरीष और सगर चरित्र के माध्यम से धर्म, त्याग और तप की गाथाएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने समुद्र मंथन से निकले रत्नों और चारों कुम्भ स्थलों की कथा को रोचक शैली में बताया. गंगा अवतरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा सबके पाप धोती हैं, लेकिन जब वे स्वयं अशुद्ध हो जाती हैं, तो एक वैष्णव के स्नान मात्र से पुनः पवित्र हो जाती हैं. उन्होंने गंगा को प्रदूषणमुक्त रखने का आग्रह भी किया.

श्रीराम जन्म से लेकर बाल लीला, विवाह लीला, वनवास, युद्ध, राज्याभिषेक और प्रस्थान तक की लीलाओं की दिव्यता को सरल व्याख्या के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि श्रीराम का जीवन सनातन धर्म का आदर्श रूप है – मर्यादित, संयमित और अनुकरणीय.

कथा श्रवण के दौरान बक्सर और बलिया क्षेत्र के हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. श्रद्धालु उत्साहित होकर कह रहे हैं कि पहली बार इस स्तर की दिव्य कथा सुनने को मिल रही है. श्रीमद्भागवत का मूल पाठ पंडित अशोक द्विवेदी कर रहे हैं. प्रबंधन की जिम्मेदारी महंथ सुरेन्द्र बाबा और उनकी यज्ञ समिति तथा क्षेत्रीय भक्तजन संभाल रहे हैं. आश्रम में प्रसाद वितरण और भंडारे की भव्य व्यवस्था है. मौसम भी अनुकूल बना हुआ है.













Post a Comment

0 Comments