स्वयं बढ़ रही है हिन्दी ले चुकी विश्व भाषा का रूप : डॉ भारवि

कहा कि हिन्दी को किसी प्रकार की चुनौती नहीं है. यह शिक्षा की भाषा है, व्यापार की भाषा है, रोजगार और कंप्यूटर की भाषा है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हिन्दी स्वयं बढ़ रही है और अब यह विश्व भाषा का स्वरूप ले चुकी है. उनका कहना था कि इसका विकास कभी रुक नहीं सकता, क्योंकि हिन्दी जनभाषा है, संघर्ष और क्रांति की भाषा है.




                                         





  • हिन्दी विश्व की जनभाषा, शिक्षा और रोजगार की भाषा: प्रो. भारवि 
  • लोक भाषा और हिन्दी अंकों के प्रयोग पर भी हुआ बल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष संगोष्ठी में वक्ताओं और कवियों ने हिन्दी भाषा की स्थिति, चुनौतियों और भविष्य पर विचार साझा किए. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रो. भारवि का वक्तव्य रहा, जिन्होंने कहा कि हिन्दी को किसी प्रकार की चुनौती नहीं है. यह शिक्षा की भाषा है, व्यापार की भाषा है, रोजगार और कंप्यूटर की भाषा है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हिन्दी स्वयं बढ़ रही है और अब यह विश्व भाषा का स्वरूप ले चुकी है. उनका कहना था कि इसका विकास कभी रुक नहीं सकता, क्योंकि हिन्दी जनभाषा है, संघर्ष और क्रांति की भाषा है.

प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. महेंद्र प्रसाद ने लोक भाषा के शब्दों के प्रयोग और उसकी विशिष्टता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लोकभाषा से जुड़ाव हिन्दी को और सशक्त बनाता है. वहीं कांग्रेस नेता कामेश्वर पांडेय ने हिन्दी अंकों के प्रयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अपनी मातृभाषा के अंकों का प्रयोग करने से हिन्दी और समृद्ध होगी.

संगोष्ठी के दूसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन हुआ, जिसमें कई चर्चित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी की विविधता और उसकी सुंदरता को अभिव्यक्त किया. इस अवसर पर कविता पाठ करने वालों में शिव बहादुर प्रीतम, रामेश्वर मिश्र बिहान, संजय सागर, कुशध्वज सिंह मुन्ना, महेश्वर ओझा, वशिष्ठ पाण्डे, शशि भूषण मिश्रा, फारुख सैफी, नर्वदेश्वर उपाध्याय, राम बहादुर राय, धनंजय गुडाकेश, पंकज पांडे, राजा रमन पांडे, उमेश पाठक रवि, कवि राही, रामेश्वर प्रसाद वर्मा, अभय तिवारी, सुरेश सरगम, विनोद मिश्र, डॉ. शशांक शेखर, रामाधार सिंह, मन्नूजी, प्राचार्य संतोष दूबे और सुनीता यादव शामिल रहे.

इसके साथ ही एस.पी.एस. स्कूल के शिक्षकों प्रमोद सिंह, खुशी दुबे, ज्योति शर्मा, नेहा दूबे, उजाला पांडे, जूही केशरी, सोनी केशरी, रचना कुमारी, नीतू कुमारी और विमलेश मिश्र ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई. कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया और हिन्दी भाषा के प्रति उनके योगदान की सराहना की गई.

इस संगोष्ठी ने यह संदेश दिया कि हिन्दी न केवल हमारे जीवन का आधार है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना की धारा भी है. इसके निरंतर विकास और विस्तार के लिए सभी को अपने स्तर पर योगदान करना होगा.







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