बक्सर के युवा लेखक रोहित दुबे ने गोमती बुक फेस्टिवल में छात्रों को किया प्रेरित ..

बताया कि सोशल मीडिया, चैट जीपीटी और अन्य तकनीकी साधनों के बावजूद किताबों की अहमियत कम नहीं हुई है. "किताबें हमें सोचने, समझने और आगे बढ़ने की क्षमता देती हैं."






                                         





  • तकनीक और सोशल मीडिया के बीच भी किताबों के प्रति रुचि बनाए रखने पर जोर
  • समय प्रबंधन और अच्छी आदतों के महत्व पर छात्रों को मार्गदर्शन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित गोमती बुक फेस्टिवल के विशेष सत्र में बक्सर के युवा लेखक रोहित दुबे ने छात्रों को प्रेरक संदेश दिए. महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया और इसके बाद रोहित दुबे ने बुक साइनिंग और पैनल डिस्कशन में भाग लिया. बक्सर जिला मुख्यालय के श्री कृष्ण नगर कॉलोनी निवासी रोहित न केवल लेखक हैं, बल्कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर और मार्शल आर्टिस्ट भी हैं. उनकी उपस्थिति ने सत्र को और अधिक आकर्षक और प्रेरक बना दिया.

सत्र की शुरुआत में रोहित दुबे ने अपनी चर्चित पुस्तक 30 लेसन्स नॉट टॉट इन स्कूल और नवीनतम कृति लेटर टू माय सन के अनुभव साझा किए. उन्होंने छात्रों से संवाद करते हुए कहा, "किताबें सिर्फ ज्ञान का स्रोत नहीं हैं, बल्कि जीवन में सवालों और चुनौतियों का सामना करने का मार्गदर्शन करती हैं." छात्र उनके हर शब्द को ध्यान से सुन रहे थे, कुछ नोट्स ले रहे थे, तो कुछ अपने सवाल पूछने के लिए उत्सुक नजर आए.

दो घंटे तक चले इस संवाद सत्र में छात्रों ने लेखन, प्रकाशन और व्यक्तिगत जीवन कौशल से जुड़े अनेक सवाल पूछे. रोहित ने इन सवालों का उत्तर सरल, व्यावहारिक और प्रेरक अंदाज़ में दिया. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया, चैट जीपीटी और अन्य तकनीकी साधनों के बावजूद किताबों की अहमियत कम नहीं हुई है. "किताबें हमें सोचने, समझने और आगे बढ़ने की क्षमता देती हैं," उन्होंने स्पष्ट किया.

रोहित ने छात्रों को समय प्रबंधन और अच्छी आदतें विकसित करने के महत्व पर भी मार्गदर्शन दिया. उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी आदतें, जैसे समय पर अपने कार्य पूरे करना, माता-पिता के साथ समय बिताना, मोबाइल फोन का सीमित उपयोग और रात देर तक जागने से बचना, भविष्य में सफलता और प्रतिष्ठा दिलाने में मदद करती हैं. उनका कहना था कि ये आदतें छोटे कदमों में जीवन बदल सकती हैं.

सत्र के अंत में बुक साइनिंग के दौरान रोहित ने छात्रों के लिए व्यक्तिगत संदेश लिखे और उन्हें प्रोत्साहित किया. छात्र लेखक से मिलकर प्रेरणा लेकर अपने जीवन और लेखन में सुधार लाने का संकल्प लेते नजर आए. इस मौके पर मंच पर छात्रों की उत्सुकता और किताबों के प्रति उनकी रुचि देखने लायक थी, जिससे पूरा माहौल जीवंत और प्रेरक बन गया.

रोहित दुबे की बातें छात्रों के लिए सिर्फ मार्गदर्शन नहीं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संजीवनी स्वरूप साबित हुईं. उनका संदेश स्पष्ट था कि ज्ञान और अच्छे संस्कार जीवन में सबसे बड़ी पूँजी हैं और इन्हें अपनाकर ही सफलता हासिल की जा सकती है.









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