शादी से पहले कराएं थैलेसीमिया जांच, ताकि अगली पीढ़ी रहे सुरक्षित ..

कहना है कि विवाह से पहले एचबीए2 जांच कर ली जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है. यह जांच बहुत सरल है और इससे पता चल जाता है कि कोई व्यक्ति थैलेसीमिया माइनर है या नहीं. यदि दोनों पक्ष माइनर पाए जाते हैं, तो उनका विवाह नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना लगभग 75 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.






                                         







  • एचबीए2 जांच से थैलेसीमिया मेजर बच्चों का जन्म रोका जा सकता है
  • विशेषज्ञ बोले - कुंडली से पहले रिपोर्ट मिलाना है ज्यादा जरूरी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : थैलेसीमिया एक गंभीर आनुवंशिक रक्त संबंधी बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. डॉक्टरों के अनुसार, अगर विवाह करने वाले दोनों व्यक्ति ‘थैलेसीमिया माइनर’ हों, तो उनके बच्चे ‘थैलेसीमिया मेजर’ से पीड़ित होकर जन्म ले सकते हैं. ऐसे बच्चे जन्म से ही इस बीमारी के शिकार होते हैं और उन्हें हर 15 से 20 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का जीवन कठिन होता है और उनका पूरा बचपन अस्पतालों में बीत जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि विवाह से पहले एचबीए2 जांच कर ली जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है. यह जांच बहुत सरल है और इससे पता चल जाता है कि कोई व्यक्ति थैलेसीमिया माइनर है या नहीं. यदि दोनों पक्ष माइनर पाए जाते हैं, तो उनका विवाह नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना लगभग 75 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.

डॉक्टरों ने यह भी बताया कि थैलेसीमिया माइनर व्यक्ति पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकता है, उसे किसी प्रकार की विशेष दवा या उपचार की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन जब दो माइनर व्यक्ति आपस में विवाह करते हैं तो उनके बच्चे इस गंभीर बीमारी के साथ जन्म लेते हैं. ऐसे बच्चों का इलाज ‘बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ से ही संभव है, जिसकी लागत लाखों रुपये में होती है.

डॉक्टरों और सामाजिक संगठनों ने सुझाव दिया है कि जैसे विवाह से पहले कुंडली मिलाई जाती है, उसी तरह अब ‘थैलेसीमिया रिपोर्ट’ मिलाना भी अनिवार्य किया जाना चाहिए. इससे थैलेसीमिया मेजर बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है. यह न केवल वैज्ञानिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है.

विशेषज्ञों ने कहा कि बिहार और पूरे देश में इस बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. यदि हर युवक-युवती विवाह से पहले एचबीए2 जांच करा ले, तो आने वाले वर्षों में इस रोग से मुक्त समाज का निर्माण संभव होगा. यह एक छोटा कदम जरूर है, लेकिन जीवन बचाने जितना बड़ा निर्णय है.







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