दिवंगत कर दारोगा की हैंडराइटिंग को हथियार बना होल्डिंग टैक्स घोटाले की लीपापोती का प्रयास ..

बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे घोटाले के राज एक-एक कर खुलते जा रहे हैं घोटाले में पर्दे के पीछे से अपना काम संचालित करने वाले लोग सक्रिय हो रहे हैं. सभी योजनाबद्ध तरीके से दिवंगत कर दारोगा मनराज सिंह के ऊपर सारा दोषारोपण करना चाह रहे हैं.

- मामले में मुखर हुए पर्दे के पीछे से खेल रचने वाले लोग
- मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में जमा कराई गई 9 माह में वसूली गई कर राशि

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर परिषद में हुए होल्डिंग टैक्स घोटाले में लीपापोती कर चाहे तो को बचाने का खेल शुरू कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि जो लोग इस घोटाले में शामिल थे वह भी अपना सारा दोष अब दिवंगत हो चुके टैक्स दरोगा के ऊपर लाद कर मामले से निकल जाना चाहते हैं. नगर परिषद के पदाधिकारी तथा जनप्रतिनिधि भी अब इस मामले की लीपापोती के प्रयास में शामिल हो चुके हैं.

सूत्र बताते हैं कि घोटाले में अकेले कार्यपालक का नाम भले ही उछल रहा हो लेकिन, उनके अलावे भी ऐसे कई अधिकारी व सफेदपोश हैं जो पर्दे के पीछे से इस घोटाले के खेल को संचालित करते रहे हैं. बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे घोटाले के राज एक-एक कर खुलते जा रहे हैं घोटाले में पर्दे के पीछे से अपना काम संचालित करने वाले लोग सक्रिय हो रहे हैं. सभी योजनाबद्ध तरीके से दिवंगत कर दारोगा मनराज सिंह के ऊपर सारा दोषारोपण करना चाह रहे हैं.

दिवंगत कर दारोगा की हैंडराइटिंग को बनाया जा रहा है हथियार:

बताया जा रहा है कि इस मामले में त्रिस्तरीय समिति ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी है उसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि कर की राशि को बैंक में नहीं जमा कराया गया. बताया जा रहा है कि जांच समिति ने यह भी बताया है कि कई जगहों पर स्वर्गीय मनराज सिंह की हैंडराइटिंग समझ में नहीं आ रही है. ऐसे में इस घोटाले में फंस रहे लोगों को अब एक नया हथियार मिल गया है. उनका कहना है कि मनराज सिंह के द्वारा उनकी हैंडराइटिंग में सारे पैसों का हिसाब लिखा हुआ है लेकिन, वह समझ नहीं आ रहा. ऐसे में यह माना जा सकता है कि जो भी राशि गायब हुई है वह मनराज सिंह के द्वारा ही गायब की गई है.

कार्यपालक सहायक की यूज़र आईडी पर कई सहायक कर रहे थे कार्य:

लाखों रुपये के गबन के इस खेल में कई लोगों के शामिल होने का मामला इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि कार्यपालक सहायक आशुतोष कुमार सिंह की यूजर आईडी पर कई सहायक कार्य कर रहे थे. सभी के द्वारा धड़ाधड़ होल्डिंग टैक्स के पैसे लेकर लोगों को रसीद थमाई जा रही थी. बताया जा रहा है कि 1 नवंबर 2016 से लेकर 30 जून 2018 तक चार ऑपरेटरों द्वारा सिस्टम जेनरेटेड कुल 92 लाख 42 हज़ार 426 रुपये की रसीद काटी गई. जिस पर कर दारोगा तथा सहायक कर दारोगा के हस्ताक्षर हैं. बताया जाता है कि नियमानुसार कार्यपालक सहायक को टैक्स रसीद काटे जाने का अधिकार नहीं है. बावजूद इसके संबंधित जनप्रतिनिधि तथा अधिकारियों की मिलीभगत से लगातार यह खेल होता रहा.

फिर शुरू हुआ था खेल आनन-फानन में बैंक में जमा कराई गई 9 माह में वसूली गई लगभग 13 लाख रुपये की राशि:

बताया जा रहा है कि यह मामला जब धीरे-धीरे सतह पर आने लगा तो 30 जून 2018 को आशुतोष कुमार सिंह की यूजर आईडी तथा पासवर्ड को बंद करा दिया गया. जिससे कि लोग धीरे धीरे इस बात को भूल जाए, हुआ भी ऐसा ही. जब घोटाले पर चर्चा बंद हुई तो पुनः 1 सितंबर 2019 से कार्यपालक सहायक की आईडी को फिर से शुरू किया गया. उस समय से लेकर 6 जून 2020 तक कुल 12 लाख 84 हज़ार 462 रुपये का कर संग्रह किया गया था. मजे की बात यह है कि यह राशि भी बैंक में नहीं जमा कराई गई थी. जबकि प्रतिदिन की राशि बैंक में जमा करानी होती है. इसी बीच जैसे ही मुख्य पार्षद के द्वारा यह मामला प्रकाश में लाया गया आनन-फानन में राशि को बैंक में जमा करा दिया गया.

मामले में शनिवार को हो सकता है अहम फैसला:

बताया जा रहा है कि इस मामले में शनिवार को होने वाली सशक्त समिति की बैठक में कोई अहम फैसला हो सकता है. संभव है कि मामले में दोषियों के नाम उजागर किए जाए. हालांकि, संभावना यह भी बन रही है कि जिस प्रकार पिछले दिनों कार्यपालक पदाधिकारी ने जांच फिर से कराए जाने की बात कही थी उस पर भी विचार किया जाए. हालांकि, जो भी हो शनिवार का दिन इस घोटाले के लिए महत्वपूर्ण होगा.











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