बड़ी ख़बर :एमवी कॉलेज में गणित की पढ़ाई बंद ..

महाविद्यालय में तकरीबन 12 हज़ार से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं, जिनके लिए 50 शिक्षकों की आवश्यकता है। इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक 10 हज़ार हिंदी के विद्यार्थी हैं. जबकि शिक्षकों की बात की जाए तो केवल गिनती के शिक्षक ही महाविद्यालय में कार्यरत हैं. 





- शिक्षक विहीन हुआ महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय का गणित विभाग 
- गणित और हिंदी के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद बनी स्थिति

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के गणित विभाग के छात्रों के समक्ष अब एक नई समस्या आ गई है गणित के शिक्षक प्रो० रामजी प्रसाद की सेवानिवृत्ति हो जाने के पश्चात यह विभाग शिक्षकविहीन हो गया है. बताया जा रहा है कि गणित विभाग में एक अतिथि शिक्षक की बहाली हुई थी लेकिन उन्होंने विभाग में योगदान नहीं दिया. पिछले 30 सितंबर को प्रोफेसर रामजी प्रसाद के साथ-साथ प्रोफ़ेसर आशिक अली भी सेवानिवृत्त हो गए. वह हिंदी विभाग के शिक्षक थे. ऐसे में हिंदी विभाग में अब केवल एक शिक्षक प्रोफेसर छाया चौबे ही बची हैं. जो तकरीबन दस हज़ार विद्यर्थियों को हिंदी पढ़ाएंगी. इस प्रकार गणित विभाग के साथ-साथ हिंदी विभाग के विद्यार्थियों की परेशानी भी बढ़ गई है.




महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में तकरीबन 12 हज़ार से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं, जिनके लिए 50 शिक्षकों की आवश्यकता है। इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक 10 हज़ार हिंदी के विद्यार्थी हैं. जबकि शिक्षकों की बात की जाए तो केवल गिनती के शिक्षक ही महाविद्यालय में कार्यरत हैं. वर्तमान में 2 शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद अब 14 शिक्षक ही कॉलेज में बचे हैं जिनमें गणित विभाग में एक भी शिक्षक नहीं हैं. इसके साथ ही संस्कृत में एक, हिंदी में एक, मनोविज्ञान में एक, अर्थशास्त्र में दो, अंग्रेजी में एक, इतिहास में एक, राजनीति विज्ञान में एक, तर्कशास्त्र में तीन, रसायन शास्त्र में दो, नियमित तथा एक अतिथि शिक्षक भौतिकी में एक नियमित तथा एक अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं जबकि जीव विज्ञान की शाखाओं, बॉटनी और जूलॉजी में एक-एक अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं.

बिना क्लास किए ही दिखाई जाती है 75 फीसद उपस्थिति : 

बताया जा रहा है कि महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में नामांकित तकरीबन 15 हज़ार से ज्यादा विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षाओं में नहीं आते. ना तो कॉलेज में यहां एक साथ इतने बच्चों के बैठने की व्यवस्था है और ना ही पढ़ाने के लिए शिक्षक. ऐसे में उनके समक्ष कोचिंग अन्य माध्यमों से बाहर ही पढ़ाई करने का विकल्प बचता है. आश्चर्य की बात है कि बाहर पढ़ाई करने के बावजूद 75 फीसद बच्चों की उपस्थिति रिकॉर्ड में दिखाई जाती है.

कहतें है प्राचार्य : 

महाविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है, जिसके लिए विश्वविद्यालय से लगातार अनुरोध किया जा रहा है. यह ज्ञात हुआ है कि 46 सौ शिक्षकों की बहाली जल्द ही होनी है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि महाविद्यालय में भी शिक्षकों की कमी जल्द पूरी हो जाएगी.

प्रो० सुभाष चंद्र पाठक,
प्राचार्य, 
महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय







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