वाह रे व्यवस्था ! सरकारी स्कूलों में बिना प्रश्नपत्र के हो रही परीक्षा ..

पांचवी और आठवीं कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं की वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा कोरोना संक्रमण काल से पहले वर्ष 2019-20 में छपी प्रश्न पत्र के आधार पर ली जा रही है. संक्रमण काल से पहले छापे प्रश्न पत्रों में दो तिहाई समुचित रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो गए हैं. अब जो प्रश्न पत्र बचे हैं, वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में उसी को निकाल कर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है. 





- वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में ब्लैक बोर्ड पर लिखा जा रहा प्रश्न, घर से कापी लाकर बच्चे दे रहे परीक्षा
- लोगों ने उठाएं सिस्टम पर सवाल, अधिकारी ने दिया फंड की कमी का हवाला

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे की पोल वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा खोलकर रख दे रही है. अनुमंडल क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में वर्ग पांच व वर्ग आठ की वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा चल रही है. यह परीक्षा कोरोना संक्रमण काल से पहले छपी प्रश्न पत्र के आधार पर ली जा रही है. हद तो यह कि परीक्षा दे रहे छात्र-छात्राओं को पुराना प्रश्न पत्र भी नहीं मिल पा रहा है. प्रश्न पत्र की कमी से शिक्षक कक्षाओं के ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न पत्र के प्रश्नों लिख दे रहे हैं जिनका उत्तर छात्र-छात्राएं अपनी कापी में लिख रहे हैं. सिस्टम का यह हाल है कि परीक्षा देने के लिए बच्चों को कापी भी अपने घर से लानी पड़ रही है. 




एक तरफ जहां सरकार सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संसाधन बढ़ा रही है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए नामांकित छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति, विद्यालय भवन का निर्माण, शौचालय, पेयजल के साथ ही मिड डे मील, खेलकूद के संसाधन, पोशाक, छात्रवृत्ति और मुख्यमंत्री बिहार परिभ्रमण योजना सहित अन्य कई योजनाएं विद्यालयों में संचालित कर रही है, वहीं, सरकारी स्कूलों में जैसे तैसे पढ़ाई के साथ ही परीक्षा भी ली जा रही है. इस समय सभी सरकारी विद्यालयों में मूल्यांकन परीक्षा चल रही है. पांचवी और आठवीं कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं की वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा कोरोना संक्रमण काल से पहले वर्ष 2019-20 में छपी प्रश्न पत्र के आधार पर ली जा रही है. संक्रमण काल से पहले छापे प्रश्न पत्रों में दो तिहाई समुचित रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो गए हैं. अब जो प्रश्न पत्र बचे हैं, वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में उसी को निकाल कर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है. 

बच्चों ने कहा, हो रही कठिनाई :

परीक्षा दे रहीं काजल, चंचल, प्रियंका, पिंकी, गुड़ियां, मधु, अंशिका कुमारी आदि छात्राओं ने बताया कि ब्लैक बोर्ड पर लिखे गए प्रश्न पत्र को देखकर परीक्षा देने में काफी कठिनाइयों को रही हैं. सिस्टम की इस व्यवस्था की मार परीक्षा दे रहे बच्चे झेल रहे हैं.

कहते हैं प्रतिनिधि व ग्रामीण :

डुमरांव नगर के दक्षिण टोला निवासी वार्ड पार्षद सोनू राय, चंद्रशेखर आजाद, गोलू राय, नचाप गांव निवासी अभय कुमार सिंह, कपिलमुनि पांडेय, पिंटू ठाकुर का कहना है कि सरकार एक तरफ नई शिक्षा नीति लागू करने और सरकारी स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात कह रही है वहीं, दूसरी तरफ वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा दे रहे बच्चों को प्रश्न पत्र व उत्तर पुस्तिका भी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा के नाम पर बच्चों के साथ शिक्षा विभाग मजाक कर रहा है.

कहते हैं अधिकारी :

वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा के लिए सरकार ने कोई फंड नहीं दिया है. ऊपर से ही निर्देश है कि दो साल पहले 2019-20 मे छपी प्रश्न पत्रों के आधार पर परीक्षा कराया जाए. जहां प्रश्नपत्र कम पड़ रहे हैं, वहां ब्लैक बोर्ड पर प्रश्नपत्र लिखकर परीक्षा ली जा रही है.

अरविंद कुमार, 
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सर्वशिक्षा अभियान




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