यह माना जा रहा है कि ददन सिंह उर्फ ददन पहलवान भले ही पिछले चुनावों में कुछ अच्छा प्रदर्शन न कर पाए हो परंतु इस बार यादवों के भरोसे वह चुनावी परीक्षा में ज्यादा मार्क्स लाने की तैयारी कर रहे हैं जो कि राजद के सामने संकट पैदा कर सकता है.
- -लोकसभा चुनाव में सभी कर रहे हैं अपने जीत के दावे
- भाजपा के लिए काल साबित हो सकती है पारिवारिक कलह
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लोकसभा चुनाव में बक्सर की सीट महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि दिल्ली की सियासत को उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार से जोड़ने में इस सीट की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. कभी यहां से कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की थी लेकिन अब छह बार इस सीट पर जीत दर्ज करने के बाद भाजपा ने कांग्रेस का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. हालांकि इस सीट पर बदलाव भी होते रहे हैं. कभी भाकपा माले तो कभी राजद ने भी इस सीट से विजय हासिल की है. रोचक बात यह है कि अबकी बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेता और दो बार के सांसद रह चुके अश्विनी कुमार चौबे का टिकट इस सीट से काट दिया है.
भाजपा ने गोपालगंज निवासी तथा विधानसभा का चुनाव हार चुके मिथिलेश तिवारी को यहां अपना विजय पताका फहराने की जिम्मेदारी दी है. जिससे नाराज अश्विनी चौबे ने जहां पार्टी से अपना कुसूर पूछ लिया है वहीं यह भी साफ कर दिया है कि वह उन्हें अपना आशीर्वाद नहीं देंगे. राजद ने भी यहां बदलाव किया है और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है वहीं पूर्व मंत्री ददन सिंह तथा उप विजेता के करीब रहने वाली बसपा के अनिल कुमार भी चुनावी मैदान में चुनौती पेश कर रहे हैं. खास बात यह है कि मोदी की राजनीति के मुरीद तथा पूर्व आइपीएस आनंद मिश्र अपनी नई सोच और युवाओं की ताकत के बदौलत चुनाव जीतने का दम भर रहे हैं.
आनंद मिश्र की मजबूत दावेदारी से निबटने के लिए भाजपा का प्लान :
ऐसा माना जा रहा है कि आनंद मिश्रा को यह उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें मौका देगी जिसके कारण उन्होंने वीआरएस भी ले लिया था. लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया और ब्राह्मण बहुल इलाके में अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर वापस नहीं जाने की कसमें खाते हुए एनडीए प्रत्याशी की चिंता बढ़ा दी. यह माना जा रहा है कि मजूबत दावेदारी के कारण ही पीएम मोदी की सभा 29 मई को प्रस्तावित है ताकि चुनाव के दो दिन पहले हवा का रुख बदला जा सके.
ददन पहलवान के मार्क्स बढ़ाएंगे राजद की मुश्किलें :
दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर कभी लालमुनि चौबे का विजय रोकने वाले जगतानंद सिंह इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं. हालांकि अब उनके पुत्रे तथा पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर राजद ने यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह भाजपा के प्रत्याशी को पटखनी दें. लेकिन राजद के प्रत्याशी के सामने ददन सिंह जैसे उम्मीदवार की चुनौती है जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं. यह माना जा रहा है कि ददन सिंह उर्फ ददन पहलवान भले ही पिछले चुनावों में कुछ अच्छा प्रदर्शन न कर पाए हो परंतु इस बार यादवों के भरोसे वह चुनावी परीक्षा में ज्यादा मार्क्स लाने की तैयारी कर रहे हैं जो कि राजद के सामने संकट पैदा कर सकता है.
बहुजन समाज पार्टी की मजबूत स्थिति से भी बंटेगा वोट :
कई चुनावों में तीसरे नंबर रहने वाली बहुजन समाज पार्टी से इस बार अनिल कुमार चुनावी मैदान में हैं. अपनी तूफानी सभाओं तथा जनसंपर्क अभियान में भाजपा सांसद की वादाखिलाफी का हवाला देते हुए उन्होंने वोटर्स में जागरूकता का संचार कर दिया है. यह जागरूकता अगर वोट में बदली तो राजनीति के दोनों ध्रुवों को नुकसान पहुंचाएगी. हालांकि उनका दावा है कि देशव्यापी महंगाई और स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता बदलाव के मूड में है और यह बदलाव केवल बहुजन समाज पार्टी को फायदा पहुंचाएगा.
युवा मतदाता तय करेंगे बक्सर का भविष्य, महिलाओं को भी आगे लाने की पहल :
बहरहाल इन सब के बीच युवा मतदाताओं का मिजाज भी इस बार सांसद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेगा. युवा मतदाताओं की संख्या इस बार अधिक है. पहली बार मतदान करने जा रहे युवा भी इस बार पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा अधिक संख्या में है. उधर युवा जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल के नेतृत्व में मतदाता जागरूकता अभियान चलाकर मतदाताओं खासकर युवाओं तथा महिलाओं को जागरूक करने तथा उनके मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश हो रही है. ऐसे में निश्चय ही इस बार बक्सर का भविष्य युवा तय करेंगे.
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