न्यायालय के आदेश को गलत ढंग से परिभाषित कर जमाया सरकारी जमीन पर कब्जा ..

अतिक्रमण करने वाले एक व्यक्ति ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए टीम को भ्रमित कर दिया था, जिसके बाद टीम लौट गई, लेकिन बाद में मामले की सच्चाई पता चली और यह ज्ञात हुआ कि अतिक्रमणकारियों के द्वारा न्यायालय के आदेश को गलत ढंग से परिभाषित कर भ्रम फैलाया गया.











- एमपी उच्च विद्यालय के प्राचार्य ने बताई ताड़का नाले के अतिक्रमणकारियों की असली कहानी
- सरकारी जमीन का नहीं किया गया है आवंटन, फिर भी जमाया कब्जा 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : "नगर के रामरेखा घाट के समीप ताड़का नाला पर जिन अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण किया है और वह उसे जमीन को अपने बाप-दादाओ की जमीन बता रहे हैं. उनका दावा पूरी तरह से गलत है. वह उस सरकारी जमीन को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. मामले को लेकर ये लोग न्यायालय भी पहुंचे लेकिन से भी उनके पक्ष में कोई आदेश नहीं आया है. फिर भी वह इसे गलत ढंग से परिभाषित कर अपने अतिक्रमण को जायज बता रहे हैं. ऐसे में अनुमंडल पदाधिकारी से अतिक्रमण हटाने का आग्रह किया गया है." यह कहना है एमपी उच्च विद्यालय के प्राचार्य विजय मिश्र का. 

उन्होंने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद अनुमंडल पदाधिकारी, अंचलाधिकारी तथा पुलिस बल वहां अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचा था, जिस पर अतिक्रमण करने वाले एक व्यक्ति ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए टीम को भ्रमित कर दिया था, जिसके बाद टीम लौट गई, लेकिन बाद में मामले की सच्चाई पता चली और यह ज्ञात हुआ कि अतिक्रमणकारियों के द्वारा न्यायालय के आदेश को गलत ढंग से परिभाषित कर भ्रम फैलाया गया.

बिहार सरकार अथवा विद्यालय की जमीन को कैसे बता सकते हैं अपना? 

प्राचार्य ने सवाल किया कि अतिक्रमणकारियों को यह बताना चाहिए कि या तो बिहार सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की होगी अथवा एमपी उच्च विद्यालय के द्वारा उन्हें जमीन दी गई होगी. लेकिन ना तो उनके पास अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा आवंटन के कोई कागजात है और ना ही विद्यालय के द्वारा उन्हें जमीन आवंटित की गई. ऐसे में इस जमीन को वह अपनी जमीन कैसे बता सकते हैं?












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