मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश पर निकला शानदार जुलूस, दिया यह पैगाम .."

कहा कि मोहम्मद साहब ने इस्लाम के लिए शांति और भाईचारे का प्रचार किया. उनकी कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ, जैसे कि जंगे बद्र, जंगे उहूद, जंगे खैबर, और जंगे तैफ, अमन और चमन के संदेश को फैलाने के लिए लड़ी गईं. इन लड़ाइयों ने इस्लाम के सिद्धांतों को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया.










- मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर निकला विशाल जुलूस
- डॉ दिलशाद ने कहा - शांति और भाइचारे का संदेश देता है इस्लाम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : "न क़लिया ही खिलती ना गुल मुस्कुराते; अगर बागे हस्ती का माली ना होता. यह सब मेरे कमली वाले का सदका है. मोहम्मद साहब अगर न होते तो कुछ भी न होता.." यह पंक्तियां मानवाधिकार और सामाजिक न्याय संस्था के सचिव और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सैय्यद दिलशाद आलम कादरी ने सोमवार को मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर कही.
जुलूस में शामिल नगर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि निमतुल्लाह फरीदी, रेडक्रॉस सचिव डॉ श्रवण कुमार तिवारी व अन्य

इस दौरान बक्सर की सड़कों पर भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें हज़ारों की तादाद में लोग शामिल हुए. इस विशेष अवसर पर डॉ दिलशाद आलम ने जुलूस को संबोधित करते हुए इस्लाम के अमन और चमन के संदेश पर प्रकाश डाला. उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम का संदेश शांति और भाईचारे का है, और यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है.

उन्होंने बताया कि मोहम्मद साहब का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का शहर में हुआ था. इस्लाम के संस्थापक और कुरान के प्रचारक मोहम्मद साहब ने 6 वर्ष की उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया और उनके दादा की मृत्यु के बाद उनके चाचा ने उनका पालन-पोषण किया. वर्ष 610 में, जब वे 40 वर्ष के थे, उन्हें गुफा में देवदूत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने दर्शन दिए और उन्हें अल्लाह के नबी के रूप में चुने जाने की सूचना दी.

डॉ. दिलशाद ने कहा कि मोहम्मद साहब ने इस्लाम के लिए शांति और भाईचारे का प्रचार किया. उनकी कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ, जैसे कि जंगे बद्र, जंगे उहूद, जंगे खैबर, और जंगे तैफ, अमन और चमन के संदेश को फैलाने के लिए लड़ी गईं. इन लड़ाइयों ने इस्लाम के सिद्धांतों को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर, डॉक्टर खालिद रजा ने भी कहा कि इस्लाम धर्म में आस्था रखने वालों के लिए यह पर्व सबसे महत्वपूर्ण है. कमिटी के सदस्य नसीम और हमीद राजा ने जुलूस की व्यवस्था की और कहा कि इस साल जुलूस पहले से बेहतर तरीके से निकाला गया है. उन्होंने कहा कि लाखों लोग शांति का संदेश फैलाते हुए सड़क पर उतरे.

जुलूस सारीमपुर, नया बाजार, थाना रोड, खलासी मोहल्ला से शुरु होकर दरिया शहीद के आस्ताने पर समाप्त हुआ. इस भव्य आयोजन में नसीम, कल्लू, लल्लू, लाल बाबू, मुस्ताक, सदरु अंसारी, सहाबु टोनी, फहीम राजा, जॉनी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे.

चौसा नगर पंचायत में ईद उल मिलादुन्नबी की धूमधाम रही. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस निकालकर अमन-चैन की दुआ की। चौसा बाजार से होकर जुलूस दुर्गा मंदिर, बारे मोर, साइ देरा और मस्जिद तक पहुंचा. इस दौरान, युवा, महिलाएं, पुरुष और बच्चे खुशी से झूमते हुए नजर आए. जुलूस के दौरान, बग्घी पर सवार धर्मगुरुओं ने धर्म और अमन के महत्व पर प्रकाश डाला. शाम की नमाज भी विशेष रूप से पढ़ी गई. इस अवसर पर सैयद सरफराज अहमद "तम्मना", वसीम अकरम, शेख पप्पू, लालबाबू खा, उमर खा, जहाँगीर अंसारी, क्यूम खान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. नगर पंचायत चौसा के उपमुख्य पार्षद प्रतिनिधि और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी विकास राज बॉक्सर ने भी जुलूस में हिस्सा लिया और सभी नगरवासियों को पैगंबर मोहम्मद साहब की जयंती की बधाई दी.

विकास राज ने इस अवसर पर कहा कि हजरत मोहम्मद साहब का संदेश सामाजिक कुरीतियों, असमानता और नफरत से छुटकारा पाने का है. उनका जीवन भाईचारे और मोहब्बत का उदाहरण प्रस्तुत करता है. हमें चाहिए कि हम उनकी जयंती पर उनके जीवन के मूल्यों जैसे सच्चाई, इंसाफ और आपसी मोहब्बत को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाएं.

इस जुलूस ने जिले में एक बार फिर साबित कर दिया कि इस्लाम का संदेश अमन और भाईचारे का है और यह पर्व हर साल इस संदेश को नये जोश के साथ फैलाता है.













Post a Comment

0 Comments