साहित्य और समाज : अश्लीलता, अंधविश्वास और वैमनस्य से बचने का संदेश

कहा कि साहित्य समाज का निर्माण करता है और साहित्यकारों का कर्तव्य है कि वे समाज को सही दिशा देने वाले अच्छे सृजन करें. मंच का संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया, जिन्होंने साहित्य को समाज का दर्पण बताया और कहा कि एक अच्छा समाज ही प्रेम और प्रसन्नता से विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है.









- शारदीय नवरात्रि में 'सुखी निरोगी जीवन' के तहत हुई परिचर्चा-गोष्ठी
- युवा पीढ़ी को अच्छा साहित्य पढ़ने की सलाह, समाज निर्माण में साहित्य की भूमिका पर जोर

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शारदीय नवरात्रि की पावन बेला में 'सुखी निरोगी जीवन' के बैनर तले पर्वती-निवास परिसर में 'साहित्य और समाज' विषय पर एक परिचर्चा-गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बुद्धिजीवी, कलमजीवी और श्रमजीवी लोगों की उपस्थिति रही, जहां समाज निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका पर चर्चा की गई.

परिचर्चा की अध्यक्षता डॉ. सिद्धनाथ मिश्र ने की, जिन्होंने कहा कि साहित्य समाज का निर्माण करता है और साहित्यकारों का कर्तव्य है कि वे समाज को सही दिशा देने वाले अच्छे सृजन करें. मंच का संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया, जिन्होंने साहित्य को समाज का दर्पण बताया और कहा कि एक अच्छा समाज ही प्रेम और प्रसन्नता से विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है.

कार्यक्रम के संयोजक शशि भूषण मिश्र ने युवाओं को अच्छा साहित्य पढ़ने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अश्लीलता, अंधविश्वास और वैमनस्य पैदा करने वाले साहित्य से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये समाज को पतन की ओर ले जाते हैं. अन्य वक्ताओं ने भी समाज और साहित्य के प्रगाढ़ संबंध पर बल दिया और कहा कि सही साहित्य ही समाज को खुशहाल बना सकता है.

इस गोष्ठी में महेश्वर ओझा 'महेश', गणेश उपाध्याय, शिव बहादुर पाण्डेय 'प्रीतम', रामेश्वर नाथ मिश्र 'विहान', राम प्रताप चौबे 'सैनिक बाबा', डॉ. शशांक शेखर, डॉ. श्रीनिवास तिवारी, राजा रमण पाण्डेय, ललित बिहारी मिश्र 'सुहाग', शिव प्रकाश दूबे, शैलेन्द्र मिश्र सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.





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