बक्सर में घरेलू गैस सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग : प्रशासन की उदासीनता पर सवाल

जिले में नियमित जांच और कार्रवाई की नहीं होने की स्थिति ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है. स्थानीय लोगों और जानकारों का कहना है कि प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित हो और संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके.









                                           

  • -खपत से कई गुणा कम है व्यवसायिक गैस सिलेंडर की मांग
  • दुर्घटना होने पर होगी कानूनी कार्रवाई, नहीं मिलेगा कोई मुआवजा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले में विभिन्न औद्योगिक संस्थानों, रेस्टोरेंट संचालकों और मैरिज हॉल संचालकों द्वारा व्यावसायिक गैस सिलेंडरों के बजाय घरेलू रसोई गैस सिलेंडरों का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. यह गतिविधि चोरी-छिपे नहीं, बल्कि खुलेआम हो रही है. जिले में व्यावसायिक गैस सिलेंडरों की बिक्री के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि घरेलू गैस सिलेंडरों का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. हालांकि, प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करने में नाकाम नजर आ रहा है.

जानकारों के अनुसार, किसी भी व्यावसायिक संस्थान, रेस्टोरेंट, होटल, या मैरिज हॉल में घरेलू रसोई गैस सिलेंडरों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. घरेलू गैस का व्यावसायिक उपयोग न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद खतरनाक है. यदि गैस सिलेंडर में लीकेज के कारण कोई दुर्घटना होती है, तो व्यावसायिक संस्थान के मालिक मुआवजे के दावेदार नहीं होंगे. इसके बावजूद, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के संचालक न केवल नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, बल्कि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं. इस हेरा फेरी के कारण सरकार को भी राजस्व की काफी क्षति हो रही है.

गैस एजेंसी संचालकों के खुलासे :

जिले के गैस एजेंसी संचालकों ने बताया कि अधिकांश व्यावसायिक संस्थानों ने व्यावसायिक गैस कनेक्शन लिया ही नहीं है. जिनके पास व्यावसायिक कनेक्शन है, वे भी नियमित रूप से सिलेंडर भरवाने में कोताही बरतते हैं. इसके विपरीत, उनके यहां हर महीने बड़ी मात्रा में गैस की खपत होती है. यह साफ दर्शाता है कि वे घरेलू गैस सिलेंडरों के जरिए अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं.

संचालकों का कहना है कि यदि नियमित रूप से जांच की जाए, तो इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जा सकता है. लेकिन प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के कारण यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. उन्होंने दावा किया कि यदि जांच की जाए तो दुकानों में तीनों कंपनी के अवैध गैस सिलेंडर भी मिलेंगे जिनकी रसीद उनके पास नहीं होगी.

होटल में व्यावसायिक उपयोग के लिए घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग करना बेहद खतरनाक है. योगेंद्र नाथ गैस एजेंसी के संचालक मृत्युंजय कुमार ने बताया कि घरेलू सिलेंडर कम दबाव पर काम करने के लिए बनाए जाते हैं, जबकि व्यावसायिक उपयोग के लिए उच्च दबाव वाले सिलेंडरों की आवश्यकता होती है. होटलों में रसोई में अधिक गर्मी होती है, जिससे घरेलू सिलेंडर फटने का खतरा बढ़ जाता है. अगर दुर्घटना हुई तो न सिर्फ संचालकों पर कार्रवाई का प्रावधान है बल्कि बीमा कंपनी भी नुकसान की भरपाई नहीं करेगी.

जितनी नगर में खपत उतना पूरे जिले में भी उठाव नहीं :

डिस्ट्रिक्ट नोडल ऑफिसर (डीएनओ) आलोक कुमार ने बताया कि व्यावसायिक गैस सिलेंडर का उठाव पूरे जिले में जितना हुआ है उससे कई गुना ज्यादा खपत केवल बक्सर नगर में होनी चाहिए. अक्टूबर माह में ही जिले भर में हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कंपनियों ने क्रमश: 328, 732, और 120 व्यावसायिक गैस सिलेंडर बेचे। जबकि केवल बक्सर नगर में ही कई मैरिज हॉल, होटल, रेस्टोरेंट, और बेकरी संचालित होते हैं.

बक्सर नगर में ही होनी चाहिए भारी खपत :

डीएनओ के अनुसार, केवल बक्सर नगर के सभी प्रतिष्ठानों की कुल खपत का आकलन करें तो यह संख्या 2,500 से 3,000 सिलेंडर प्रतिमाह होनी चाहिए जबकि पूरे जिले की बात करें तो खपत लगभग तीन गुणा हो जायेगी. यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि व्यावसायिक सिलेंडरों के उपयोग के बजाय घरेलू सिलेंडरों का दुरुपयोग किया जा रहा है.

मैनुअल बुकिंग बंद करने में आ रही समस्या :

उन्होंने यह भी बताया कि 14.2 किलोग्राम के घरेलू गैस सिलेंडर का अवैध उपयोग रोकने के लिए आयल कंपनियों के द्वारा वितरकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. उनसे यह कहा गया है कि वह मैन्युअल बुकिंग बंद करें एवं सिस्टम में डीएससी कोड के साथ ही डिलीवरी पंच करें किंतु ग्राहकों के पास मोबाइल फोन न होने अथवा मोबाइल में रिचार्ज ना होने के कारण जमीनी स्तर पर इसका कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है.

प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल :

गैस सिलेंडरों के इस अनियमित उपयोग को रोकने के लिए प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. जिले में नियमित जांच और कार्रवाई की नहीं होने की स्थिति ने इस समस्या को बढ़ावा दिया है. स्थानीय लोगों और जानकारों का कहना है कि प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित हो और संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

कहते हैं अधिकारी :

जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रवीण रंजन सिन्हा ने बताया कि वह 30 अक्टूबर को सेवानिवृत हो चुके हैं. हालांकि यह बात सही है कि काफी दिनों से इसकी जांच नहीं हुई है. उम्मीद है कि आगे इसकी जांच की जाए.











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