वीडियो : बक्सर से डुमरांव जाने वाली सड़क बनी जानलेवा रास्ता, ग्रामीण बोले – वोट नहीं, अब मिलेगा हिसाब ..

कहना है कि जब चुनाव आता है, तभी नेता गांव का रुख करते हैं. वोट के बाद न तो सड़क की सुध ली जाती है और न ही किसी विकास कार्य की बात होती है. 










                                           





- 16 किमी लंबी मुख्य सड़क गड्ढों में तब्दील, बारिश में जलजमाव से रोज हो रही दुर्घटनाएं
- जनता ने विधायक पर उठाए सवाल, बोले – पांच साल में सिर्फ वादे और पैचिंग मिली, अबकी बार नोटा दबेगा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला मुख्यालय बक्सर से डुमरांव को जोड़ने वाली 16 किलोमीटर लंबी सड़क की हालत इतनी बदहाल हो चुकी है कि आए दिन वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. यह सड़क जासो, नदांव और जगदीशपुर होते हुए डुमरांव के साफखाना रोड से जुड़ती है, लेकिन इस पूरे मार्ग की स्थिति अब गड्ढों में तब्दील हो गई है. बारिश के कारण जगह-जगह जलजमाव की स्थिति है. पानी से भरे गड्ढों के कारण राहगीर और वाहन चालक रोज गिरकर चोटिल हो रहे हैं. इस मार्ग से जुड़े गांवों के ग्रामीण अब खुलेआम नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उन्होंने अपने जनप्रतिनिधियों विशेषकर सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें इस बार वोट नहीं मिलेगा.


जनता का छलका दर्द, बोले - केवल वोट के समय आते हैं नेता

ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव आता है, तभी नेता गांव का रुख करते हैं. वोट के बाद न तो सड़क की सुध ली जाती है और न ही किसी विकास कार्य की बात होती है. जगदीशपुर गांव के निवासी जवाहर साधु कहते हैं, "यह समस्या कोई नई नहीं है. कई बार कह चुके हैं, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली. अब तो रोज छोटे वाहन पलट रहे हैं. सड़क नहीं बनी तो बरसात में हालत और बिगड़ जाएगी." उन्होंने यह भी जोड़ा कि विधायक इस रास्ते से कभी आते-जाते नहीं दिखते, समस्या से वे खुद भी आंखें मूंदे हुए हैं.

सिर्फ सूखी गिट्टी और रोलर से नहीं बनेगी सड़क

गांव के ही राम अवधेश ने कहा कि "बीते पांच सालों में सिर्फ पैचिंग हुई है. सड़क की कभी मजबूती से मरम्मत नहीं की गई. हर बार सूखी गिट्टी डालकर रोलर चला दिया जाता है, और अगली ही बारिश में सड़क फिर से टूट जाती है. अब हम इस कष्ट का जवाब वोट से देंगे."

बदहाल सड़क से खुद विधायक भी नहीं गुजरते

जगदीशपुर के शिवप्रसन्न सिंह ने तंज कसते हुए कहा, "विधायक खुद इस सड़क से नहीं गुजरते. केवल एसी कमरे में बैठकर बयानबाजी करते हैं. रोज ग्रामीण गिरते हैं, चोट खाते हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं. अभी तक तो केवल चोटें आई हैं, लेकिन कब किसी की जान चली जाए, इसका कोई भरोसा नहीं." उन्होंने कहा कि इस सड़क से विधायक का अपना गांव जाना होता है, लेकिन बदहाल स्थिति के कारण वह अब दूसरा रास्ता चुनते हैं.

अबकी बार वोट नहीं, नोटा मिलेगा

वहीं गांव के मुन्ना सिंह ने कहा, "विधायक का कहना है कि सड़क पर पानी बह रहा है इसलिए टूट रही है, लेकिन यह महज बहाना है. यदि वे चाहें तो पानी का बहाव रोका जा सकता है. सड़क की मरम्मत नहीं करना उनकी जिम्मेदारी से भागना है. अबकी बार उन्हें वोट नहीं मिलेगा, बल्कि गांव के लोग नोटा का बटन दबाएंगे."

जनप्रतिनिधियों पर उठा सवाल, ठेकेदार की लापरवाही भी उजागर

ग्रामीणों ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि आखिर हर साल सड़क पर लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद स्थिति जस की तस क्यों है? ठेकेदार द्वारा मानकों की अनदेखी कर काम कराना, संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता इसके पीछे मुख्य कारण हैं. ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि सड़क निर्माण के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति होती है, और वास्तविकता में काम नहीं होता.

प्रशासन और विधायक से की सड़क निर्माण की मांग

ग्रामीणों ने प्रशासन और विधायक से मांग की कि जल्द से जल्द इस सड़क का स्थायी समाधान किया जाए. बरसात के मौसम में यह सड़क जानलेवा साबित हो सकती है. यदि समय रहते सड़क निर्माण नहीं हुआ तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे.

वर्ष 2021 में हुआ था निर्माण, 2026 तक मेंटेनेंस का है प्रावधान :

बता दें कि इस सड़क का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा 3 करोड़ 34 लाख 58 हज़ार 193 रुपये की लागत से करा कर 28 जुलाई 2021 को जनता की सेवा में समर्पित कर दिया गया था. पांच साल तक इसके रखरखाव के लिए 1 करोड़ 66 लाख 79 हज़ार 112 रुपये की राशि निर्धारित है. ग्रामीण कार्य विभाग के संवेदक शिव भजन सिंह के द्वारा इसका निर्माण कराया गया था. लेकिन मरम्मत के नाम पर उनके द्वारा केवल खानापूर्ति ही की जा रही है.

बहरहाल, बक्सर से डुमरांव को जोड़ने वाली यह सड़क सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि हजारों ग्रामीणों की जीवनरेखा है. लेकिन वर्तमान स्थिति में यह सड़क जानलेवा बन चुकी है. ग्रामीणों का आक्रोश यह साफ इशारा करता है कि यदि समय रहते जनप्रतिनिधियों ने जनभावना नहीं समझी, तो आगामी चुनाव में उन्हें जनता के रोष को झेलना होगा.
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