जब नारद ने भगवान विष्णु से अपने इस मोह का कारण पूछा, तो विष्णु जी ने कहा कि यह सब माया का खेल था. आचार्य जी ने इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया कि अहंकार मनुष्य के पतन का कारण बनता है और भक्ति का मार्ग विनम्रता से ही संभव है.
- लाल बाबा आश्रम में श्रीराम जन्म कथा और नारद मोह कथा का आयोजन
- श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, भक्ति भाव से गूंजा आश्रम
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के सती घाट पर चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन आचार्य गुप्तेश्वर जी ने श्रीराम जन्म कथा और नारद मोह कथा का विस्तार से वर्णन किया. इस धार्मिक आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे और भक्ति भाव से कथा का श्रवण किया. खास बात यह रही कि आचार्य ने कथा को भोजपुरी में कहते हुए उसे और सरल बना दिया. आचार्य ने जहां भगवान श्री राम के जन्म का उद्देश्य बताएं वही अहंकार को मनुष्य के पतन का कारण बताया.
आचार्य गुप्तेश्वर जी ने कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के महल में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था. उन्होंने बताया कि महाराज दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ के माध्यम से पुत्र प्राप्ति की कामना की थी. यज्ञ के फलस्वरूप राजा की तीनों रानियों ने प्रसाद ग्रहण किया और समय आने पर कौशल्या के गर्भ से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ. आचार्य जी ने कहा कि श्रीराम का जन्म केवल अयोध्या ही नहीं, संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण के लिए हुआ था.
नारद मोह कथा की प्रेरणादायक प्रस्तुति :
कथा के अगले भाग में आचार्य जी ने नारद मोह की कथा सुनाई. उन्होंने बताया कि देवर्षि नारद को भक्ति और तप का गर्व हो गया था, जिसे तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने माया रची. नारद मुनि राजकुमारी विश्वमोहिनी के मोह में फंस गए और विवाह की इच्छा करने लगे. अंततः जब नारद ने भगवान विष्णु से अपने इस मोह का कारण पूछा, तो विष्णु जी ने कहा कि यह सब माया का खेल था. आचार्य जी ने इस कथा के माध्यम से यह संदेश दिया कि अहंकार मनुष्य के पतन का कारण बनता है और भक्ति का मार्ग विनम्रता से ही संभव है.
भक्तों की भारी उपस्थिति :
इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिनमें –
कथावाचक रामनाथ ओझा, रणधीर ओझा, पंडित मुक्तेश्वर शास्त्री, पूना चौबे, चिंता हरण पाठक, सिद्धेश्वरानंद बक्सरी, विश्वनाथ राम, हरेंद्र नाथ तिवारी, गुड्डू तिवारी, रणधीर श्रीवास्तव, डॉ शशांक शेखर, बबलू तिवारी, रंजीत राय, झुना पांडेय, पंचानंद वर्मा, अनंत वर्मा, मनोज वर्मा, बिट्टू वर्मा, लल्लू वर्मा, दुर्गेश पांडेय, सत्येंद्र चौबे, शशि भूषण पांडेय, नीरज सिंह, सुगंध जी, आजाद सिंह राठौड़, अनिरुद्ध तिवारी, नंद कुमार तिवारी, शिव जी चौधरी, सुरेंद्र वर्मा और जोधा यादव सहित कई भक्त शामिल थे.
समापन और भंडारे की तैयारी :
कथा के अंत में आचार्य जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि कथा का समापन 27 दिसंबर को भव्य भंडारे के साथ होगा. उन्होंने सभी भक्तों से इस धार्मिक आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की.
सुव्यवस्थित आयोजन :
आश्रम के महंत सुरेंद्र जी महाराज के सान्निध्य में इस आयोजन की समस्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं. आश्रम में स्वच्छता, सुरक्षा और भोजन व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जा रहा है ताकि सभी भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो.
श्रद्धालुओं के लिए संदेश :
इस आयोजन के माध्यम से भक्तों को धर्म, सत्य और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जा रही है. आचार्य गुप्तेश्वर जी ने कहा कि भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपनाकर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं.
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