इसी बीच दुकानदारों ने नगर परिषद से संपर्क किया और नगर परिषद ने सोन नहर प्रमंडल के द्वारा लाल निशान लगाए जाने को गलत बताते हुए दुकानों की नंबरिंग की और यह कहा कि यह दुकान नहीं हटाए जाने चाहिए,
- पक्की दुकानों को छोड़कर हटाया जाने लगा अतिक्रमण
- एसडीएम में जिला पदाधिकारी को सौंपी रिपोर्ट
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सोन नहर की जमीन पर बने अतिक्रमण को हटाने के निर्देश के बाद उपजे विवाद में अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने भी यह बात स्पष्ट कर दी थी कि पक्के दुकान नहीं हटाए जाएंगे. इसके बाद पक्की दुकानों को छोड़कर नहर के किनारे बने अस्थाई अतिक्रमण को शनिवार से हटाया जाने लगा. इसी बीच दुकानदारों के साथ सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, डुमरांव विधायक अजीत कुमार सिंह एवं राजपुर विधायक विश्वनाथ राम ज्योति प्रकाश चौक पर धरने पर बैठ गए.
इस बात की सूचना मिलते ही अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र वहां पहुंचे और उन्होंने सभी को एक बार फिर बताया कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है की पक्की दुकानें नहीं तोड़ी जाएंगी. ऐसे में इस धरने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने सभी से यह अनुरोध किया कि वह धरना स्थल से हट जाए. इसके बाद विधायक व अन्य धरना स्थल से हट तो गए लेकिन, डुमरांव विधायक और सदर विधायक दोनों ने यह स्पष्ट किया कि प्रशासन अगर अतिक्रमण के नाम पर किसी की रोजी-रोटी छीनता है तो सरकारी प्रावधानों के अनुसार उसके लिए कोई व्यवस्था भी करनी चाहिए.
दरअसल, नगर के सोन नहर के किनारे 243 अवैध अतिक्रमण हटाए जाने का निर्देश जारी होते ही एक तरफ जहां दुकानदारों के बीच हड़कंप मच गया था वहीं, सिंचाई विभाग के द्वारा दुकानों पर लाल निशान भी लगा दिया गया था. इसी बीच दुकानदारों ने नगर परिषद से संपर्क किया और नगर परिषद ने सोन नहर प्रमंडल के द्वारा लाल निशान लगाए जाने को गलत बताते हुए दुकानों की नंबरिंग की और यह कहा कि यह दुकान नहीं हटाए जाने चाहिए,
नगर परिषद और नहर विभाग को मिलकर लेना होगा निर्णय :
उधर, अनुमंडल पदाधिकारी धीरेन्द्र कुमार मिश्र ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि पक्की दुकानों को इसलिए नहीं तोड़ा जा रहा है, क्योंकि दुकानदारों का यह कहना है कि उन्हें नगर परिषद से आवंटन प्राप्त हुआ है. दूसरी तरफ इसका किराया भी लिया जा रहा है. ऐसे में सोन नहर प्रमंडल और नगर परिषद दोनों को आपस में समन्वय स्थापित कर इस पर निर्णय लेना होगा.
तीन महीने में मामला सुलझाने की योजना :
वर्तमान स्थिति से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया जाएगा और उनसे अनुरोध किया जाएगा कि वह दोनों विभागों को यह निर्देश दें कि तीन महीने के अंदर इस विवाद का हल निकाला जाए, लेकिन तब तक दुकानें नहीं तोड़ी जाएंगी.
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