कहा, "परमात्मा जब द्वार पर आते हैं, तो तन, मन और धन मांगते हैं. तन से सेवा, मन से सुमिरन और धन से सेवा जो करता है, उसे अक्षुण्ण साम्राज्य की प्राप्ति होती है."
- श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर निकली भव्य झांकी, धर्म की स्थापना का संदेश
- धर्म की रक्षा के लिए भगवान ने लिया अवतार, बलि की भक्ति का उदाहरण
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले के इटाढ़ी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का वर्णन किया गया। आचार्य रणधीर ओझा ने कथा में भगवान के अवतार की महिमा बताते हुए कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा, तब-तब परमात्मा ने अवतार लिया और धर्म की स्थापना की. भगवान कृष्ण के बाल रूप की भव्य झांकी भी निकाली गई, जिसने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया.
आचार्य ओझा ने बलि और वामन अवतार का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि जीव पूरी निष्ठा से प्रभु की भक्ति करता है तो भगवान स्वयं उसके द्वारपाल बन जाते हैं. उन्होंने कहा, "परमात्मा जब द्वार पर आते हैं, तो तन, मन और धन मांगते हैं. तन से सेवा, मन से सुमिरन और धन से सेवा जो करता है, उसे अक्षुण्ण साम्राज्य की प्राप्ति होती है."
कथा में मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों और नारायण द्वारा श्रीकृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लेने की कथा भी सुनाई गई. आचार्य ने बताया कि भगवान ने कंस का अंत कर धर्म और प्रजा की रक्षा की. उन्होंने श्रीकृष्ण के जीवन से यह सीख लेने का संदेश दिया कि चाहे व्यक्ति कितना भी महान हो, उसे अपने माता-पिता के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए.
उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को कुल धर्म और मर्यादा का पालन करने की सलाह दी. आचार्य ने कहा कि आज का युवा धन कमाने में व्यस्त है, लेकिन अपने पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को नजरअंदाज कर रहा है.
इस अवसर पर श्याम बिहारी पाठक, द्वारिका दूबे, कमलेश पाठक, गोविन्द पाठक, भगवान वामन चेतना मंच के संजय ओझा, अभिषेक ओझा, सरोज तिवारी, अवधेश चौबे, प्रभाकर पाठक, मंटू पाठक, मृत्युंजय तिवारी, दयानंद उपाध्याय, गिरीश दूबे, ओमांस और रूद्रांस सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.
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