भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनके बाल स्वरूप की महिमा का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार राजा कंश ने अपनी बहन देवकी की आठवीं संतान से अपनी मृत्यु का भय पाकर उन्हें और उनके पति वासुदेव जी को कारागार में डाल दिया.
- चौथे दिन की कथा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और कंश के अहंकार पर केंद्रित
- हजारों श्रद्धालु महिलाओं समेत कार्यक्रम में शामिल
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : औद्योगिक क्षेत्र स्थित माँ काली मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की कथा का श्रवण कर श्रद्धालु भावविभोर हो गए. कथा का शुभारंभ व्यास गद्दी की पूजा के साथ हुआ, जिसे मोहन मिश्रा, चंदन सिंह और राकेश चौबे ने संयुक्त रूप से किया. व्यास गद्दी के पूजन के बाद कथा का संचालन पीठाधीश्वर हिमांशु जी महाराज ने सोनू बाबा के निर्देशन में किया.
कथा में सुखदेव जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनके बाल स्वरूप की महिमा का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार राजा कंश ने अपनी बहन देवकी की आठवीं संतान से अपनी मृत्यु का भय पाकर उन्हें और उनके पति वासुदेव जी को कारागार में डाल दिया.
कथा के दौरान यह भी बताया गया कि देवकी की सभी संतानों को कंश ने उनके जन्म के तुरंत बाद मार डाला. लेकिन, आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य के समय कंश का अहंकार चूर-चूर हो गया. भगवान के जन्म के साथ ही कारागार के द्वार स्वतः खुल गए और सभी प्रहरी सो गए. वासुदेव जी ने बालक कृष्ण को गोकुल में अपने मित्र नंद बाबा के पास सुरक्षित पहुँचा दिया.
कथा में भगवान कृष्ण के बाल रूप के साथ माँ यशोदा और नंद बाबा के प्रेम की झलकियों का भी वर्णन किया गया. हिमांशु जी महाराज ने सोहर और कीर्तन के साथ कथा को जीवंत बना दिया, जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे.
कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति:
कार्यक्रम में रामशीष यादव, धनजी सिंह, सुशील राय, राजेश चौबे, संतोष सिंह, इंद्रजीत पाण्डेय, राजकमल सिंह, ऋषिकेश पाण्डेय, बम पाण्डेय, लक्ष्मण पाण्डेय, जितबहादुर दुबे, प्रफुल्ल दुबे, गुडलक सिंह, चंदन पाण्डेय, कर्मजीत पाण्डेय, ललन मिश्रा, सूरज, मनीष, प्रिंस, राजा, काली चौबे, नंदजी ओझा, विशाल, हर्षित समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु, जिनमें महिलाओं की भी बड़ी संख्या थी, शामिल हुए.
कथा का समापन भजनों और कीर्तन के साथ किया गया. आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं से आगामी दिनों में भी कथा में शामिल होने और आध्यात्मिक लाभ अर्जित करने की अपील की.
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