अपने क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. रेल पुलिस का कहना था कि आउटर क्षेत्र में पड़े शव को उठाना उनके नियमों में नहीं आता. इस कारण शव ट्रैक पर ही पड़ा रहा और इंसानियत शर्मसार होती रही.

- रेलवे ट्रैक पर लावारिस पड़ा रहा शव
- मानवता को शर्मसार कर गया क्षेत्राधिकार विवाद
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : दानापुर-डीडीयू रेलखंड पर डुमरांव रेलवे स्टेशन के पोल संख्या 643/16 और 18 के बीच एक 50 वर्षीय व्यक्ति की ट्रेन से गिरकर मौत हो गई. हालांकि, इस घटना के बाद शव को उठाने को लेकर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और रेलवे पुलिस (GRP) के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर टकराव हो गया. नतीजतन, मृतक का शव चार घंटे तक रेलवे ट्रैक के किनारे पड़ा रहा और कोई भी विभाग इसे उठाने को तैयार नहीं हुआ. आखिरकार, नया भोजपुर पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
मिली जानकारी के अनुसार, मोतिहारी जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र निवासी राजकुमार पासवान, पिता सुखदेव पासवान, हैदराबाद से मजदूरी कर लौट रहे थे. डुमरांव आउटर सिग्नल के पास किसी ट्रेन से गिरकर उनकी मौत हो गई. घटना के बाद मौके पर पहुंचे आरपीएफ और जीआरपी जवानों ने इसे अपने क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. रेल पुलिस का कहना था कि आउटर क्षेत्र में पड़े शव को उठाना उनके नियमों में नहीं आता. इस कारण शव ट्रैक पर ही पड़ा रहा और इंसानियत शर्मसार होती रही.
नया भोजपुर पुलिस ने संभाली जिम्मेदारी
घटना के बाद नया भोजपुर थाना प्रभारी मनीष कुमार ने जीआरपी के वरीय अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. जब कोई और पुलिस टीम शव को उठाने को तैयार नहीं हुई, तब नया भोजपुर थाना पुलिस ने स्वयं पहल कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
रेल यात्री कल्याण समिति ने जताया रोष
घटना को लेकर रेल यात्री कल्याण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने गहरी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि रेलवे प्रशासन की ऐसी लापरवाहियां इंसानियत को ठेस पहुंचाती हैं और जरूरत पड़ने पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने मांग की कि रेलवे पुलिस और आरपीएफ के क्षेत्राधिकार विवाद को जल्द से जल्द सुलझाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं.
यह पहली बार नहीं है जब क्षेत्राधिकार को लेकर ऐसा विवाद हुआ हो. पहले भी कई मामलों में पुलिस विभागों के बीच जिम्मेदारी तय करने की रस्साकशी देखी गई है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के नियम मानवता से बढ़कर हैं?
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