मनुष्य यदि सात दिन तक निष्काम भाव से इसका श्रवण करे, तो उसका कल्याण और मोक्ष निश्चित है. श्रीमद्भागवत कथा मानव जीवन की दिशा को मोक्ष की ओर मोड़ देती है. यह सांसारिक मोह-माया, प्रपंच और दुखों से ऊपर उठकर ईश्वर भक्ति में लीन होने की प्रेरणा देती है.
- पावन ग्रंथ श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है आत्मा का शुद्धिकरण
- राजा को माना गया प्रजा के दुख का भागी, न्यायपूर्ण शासन की दी गई प्रेरणा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : आईटीआई मैदान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य श्रद्धा और समर्पण भाव से भागवत कथा को सुनता है, वह दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्त हो जाता है. इस दिव्य ग्रंथ की महिमा अपार है. इसका श्रवण आत्मा का शुद्धिकरण करता है और जीव को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है.
महाराज श्री ने कथा के दौरान बताया कि जब एक प्रेत मात्र कथा श्रवण से मुक्त हो सकता है, तो मनुष्य यदि सात दिन तक निष्काम भाव से इसका श्रवण करे, तो उसका कल्याण और मोक्ष निश्चित है. श्रीमद्भागवत कथा मानव जीवन की दिशा को मोक्ष की ओर मोड़ देती है. यह सांसारिक मोह-माया, प्रपंच और दुखों से ऊपर उठकर ईश्वर भक्ति में लीन होने की प्रेरणा देती है.
उन्होंने आगे कहा कि यह कथा केवल मनोरंजन या ज्ञान प्राप्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक जाकर उसे शुद्ध करने का एक साधन है. इसके श्रवण से मन, वाणी और कर्म पवित्र होते हैं और व्यक्ति परम शांति की ओर बढ़ता है.
महाराज श्री ने राजा और प्रजा के संबंध पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस राजा के शासन में प्रजा दुखी होती है, वह राजा नर्क का भागी होता है. शासन करना राजा का धर्म अवश्य है, लेकिन उससे अधिक महत्वपूर्ण है कि वह न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करे. प्रजा का दुख, राजा का व्यक्तिगत दुख माना गया है.
उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य को सदैव स्वच्छ और सुसंस्कृत वस्त्र पहनने चाहिए. फटे या गंदे कपड़े पहनना न केवल अशोभनीय होता है, बल्कि इससे दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा घर करती है. जिस घर में वस्त्रों का अपमान होता है, वहां दुर्भाग्य और मानसिक अशांति का वास होता है.
महाराज श्री ने श्रीमद्भागवत में वर्णित भगवान के अवतारों की चर्चा करते हुए बताया कि जब भी पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, धर्म की हानि होती है और संतों तथा सज्जनों पर संकट आता है, तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही. आयोजन समिति की ओर से विजय मिश्र, कल्लू राय, सौरभ तिवारी, सुनील राम, दीपक सिंह, निशु राय, अविनाश पाण्डेय, राहुल दुबे, अंजय चौबे, रवि राय, मंगल पाठक, अभिन्नदन मिश्र, रोहित मिश्र, निकु ओझा, अंकित मिश्र, सुशील ओझा, नवीन राय, भाष्कर सिंह, चन्दन ओझा, सुमन श्रीवास्तव, बड़े चौधरी, गोपाल जी, छोटे तिवारी, अक्षय ओझा, नारायण उपाध्याय समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे.
वीडियो : https://www.youtube.com/live/wScCb3qgb0s?si=CoIRNBIdmnk9cvC7
कार्यक्रम विवरण :
दिनांक : 9 से 15 अप्रैल 2025
स्थान : आईटीआई मैदान, बक्सर, बिहार
समय : प्रतिदिन दोपहर 3:30 बजे से
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