वीडियो : मां शारदा संजीवनी अस्पताल ने पूरे किए दो साल, सुविधाओं में हुआ विस्तार

अब अस्पताल में 24 घंटे स्त्री रोग विशेषज्ञ (एस गायनी) और सामान्य सर्जन (एमएस सर्जन) की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है. साथ ही फेको विधि के माध्यम से नेत्र रोगियों के ऑपरेशन की भी व्यवस्था की गई है.









                                           




  • -24 घंटे इमरजेंसी सेवा, गायनी और सर्जन की मौजूदगी
  • फेको विधि से नेत्र ऑपरेशन की भी हुई शुरुआत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नया बस स्टैंड स्थित हनुमान नगर मोहल्ले में संचालित मां शारदा संजीवनी अस्पताल ने अपनी स्थापना के दो वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस अवसर पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा सेवाओं का विस्तार करते हुए कई नई चिकित्सकीय सुविधाओं की शुरुआत की गई है. अब अस्पताल में 24 घंटे स्त्री रोग विशेषज्ञ (एस गायनी) और सामान्य सर्जन (एमएस सर्जन) की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है. साथ ही फेको विधि के माध्यम से नेत्र रोगियों के ऑपरेशन की भी व्यवस्था की गई है.

अस्पताल के निदेशक डॉ. यश उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि वे स्वयं एचडी फिजिशियन हैं और आपातकालीन स्थितियों में सीधे मरीजों का इलाज करते हैं. उनकी पत्नी डॉ. श्रुति उपाध्याय नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. अस्पताल में अब डॉ. अन्वी मिश्रा (एस गायनी) और डॉ. संजय कुमार (एमएस सर्जन) भी अपनी सेवाएं नियमित रूप से देंगे. उन्होंने बताया कि 24 घंटे इमरजेंसी सेवा अस्पताल की सबसे बड़ी विशेषता होगी, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके.

डॉ. उपाध्याय ने बताया कि उनके अस्पताल में सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर मौजूद है, जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा हर्निया सहित विभिन्न ऑपरेशन किए जा सकते हैं. सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पताल में विशेष रूप से आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिन्हें और बेहतर बनाने की योजना पर भी काम किया जा रहा है.

अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है. इसमें पैथोलॉजी, दवा केंद्र, लिफ्ट, प्राइवेट वार्ड, आईसीयू जैसी सुविधाएं शामिल हैं. भवन को अग्निरोधी बनाया गया है और आग बुझाने के पर्याप्त साधन भी लगाए गए हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके.

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि मरीजों को एक ही स्थान पर समस्त चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें ताकि उन्हें बाहर भटकना न पड़े.

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