डॉक्टरों ने संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए उनका एक पैर काटने का कठिन निर्णय लिया. डॉक्टरों का कहना है कि यदि यह कदम समय पर नहीं उठाया जाता, तो संक्रमण जानलेवा हो सकता था. हालांकि इलाज जारी है, लेकिन मंटू की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है.
- वाराणसी में भर्ती मंटू की हालत गंभीर, प्रियंका और बच्चों की आंखों में भविष्य की चिंता
- सुनील की मौत से बेसहारा हुआ परिवार, पत्नी ने लगाई न्याय की गुहार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के अहियापुर गांव में कुछ दिन पहले हुए गोलीकांड की मार झेल रहे पीड़ितों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. इस दर्दनाक घटना में गंभीर रूप से घायल हुए मंटू सिंह का इलाज वाराणसी के एक निजी अस्पताल में चल रहा है, जहां डॉक्टरों ने संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए उनका एक पैर काटने का कठिन निर्णय लिया. डॉक्टरों का कहना है कि यदि यह कदम समय पर नहीं उठाया जाता, तो संक्रमण जानलेवा हो सकता था. हालांकि इलाज जारी है, लेकिन मंटू की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है.
घर में उनकी पत्नी प्रियंका देवी दो मासूम बच्चों – चार साल की अंशिका और दो साल के अंश – को देखकर हर पल चिंता में डूबी रहती हैं. उनके चेहरे पर सिर्फ डर और आंखों में आंसू हैं. वे कहती हैं, “अब मेरे बच्चों का भविष्य कौन संभालेगा? पति बिस्तर पर हैं और रोजी-रोटी का कोई सहारा नहीं बचा है.” मंटू के चचेरे भाई अजीत सिंह ने भी बताया कि परिवार मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से बुरी तरह टूट चुका है.
प्रियंका देवी ने प्रशासन से अपील की है कि इस गोलीकांड में शामिल अपराधियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा मिले, ताकि गांव में भय का माहौल खत्म हो और ऐसे लोगों को सबक मिल सके.
उधर, गोलीकांड में जान गंवाने वाले सुनील सिंह के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. गोली लगने से मौके पर ही जान गंवाने वाले सुनील की पत्नी आशा देवी गहरे सदमे में हैं. वे बिना कुछ कहे घंटों तक सिर्फ अपने पति की तस्वीर ताकती रहती हैं. उनके तीन बच्चे – रानी, अर्चना और अनुज – स्कूल जाने की उम्र में हैं, लेकिन अब उनके सामने पढ़ाई और भविष्य दोनों अधर में लटक गए हैं.
बच्चों ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि वे पढ़-लिखकर कुछ बनें, लेकिन अब स्कूल की फीस, किताबें और पढ़ाई सब एक सवाल बनकर रह गई हैं. वे न्याय की उम्मीद लिए हर आने-जाने वाले की तरफ देख रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. सिर्फ मुआवजा या दिलासा नहीं, पीड़ितों को न्याय और सुरक्षा का भरोसा चाहिए. तभी ऐसे परिवारों को राहत मिल सकती है.
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