राकेश टिकैत पर हमले की निंदा, किसानों ने उठाई दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग ..

कहा कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने किसानों पर हुए दमन पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशासन पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था. इसके बावजूद प्रशासन द्वारा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसे विस्तारित सुनवाई के बाद खारिज कर किसानों के पक्ष में निर्णय दिया गया. 










                                           





- बक्सर में भी शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिसिया लाठीचार्ज से 500 से अधिक ग्रामीण हुए थे घायल
- प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा ने संघर्ष तेज करने का किया ऐलान

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : रविवार को प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के तत्वावधान में बनारपुर पंचायत भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता डॉ. विजय नारायण राय ने की जबकि मंच संचालन मेराज खान ने किया. बैठक में भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता राकेश टिकैत पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हुए वक्ताओं ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए.

बैठक में भारतीय किसान यूनियन (बिहार प्रदेश) के अध्यक्ष दिनेश सिंह, अधिवक्ता उमेश कुमार सिंह, प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष रामप्रवेश सिंह यादव, पूर्व मुखिया सुरेश सिंह यादव, शैलेश राय, गोरख पांडेय, सियाराम सिंह, साधु सिंह, नन्दलाल सिंह, ओमकार राय, छेदी राय, नन्द कुमार राम, संतविलास पांडेय तथा बृजेश राय सहित बड़ी संख्या में किसान, बेरोजगार नौजवान तथा स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे.

बैठक में 24 अप्रैल 2025 को बक्सर की अदालत से किसानों के पक्ष में आए निर्णय को ऐतिहासिक बताया गया. वक्ताओं ने कहा कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने किसानों पर हुए दमन पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशासन पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था. इसके बावजूद प्रशासन द्वारा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसे विस्तारित सुनवाई के बाद खारिज कर किसानों के पक्ष में निर्णय दिया गया. इससे प्रभावित किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई.

बैठक में यह भी बताया गया कि बनारपुर, कोचाढ़ी तथा मोहनपुरवा गांवों में शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज किया गया, तोड़फोड़ की गई और मनमानी गिरफ्तारियां की गईं. इस कार्रवाई में 500 से अधिक ग्रामीण घायल हुए, जिनमें महिलाएं, वृद्ध और बच्चे भी शामिल थे. ग्रामीणों की निजी संपत्ति और मवेशियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया.

मोर्चा ने बैठक के अंत में चार प्रमुख मांगें रखीं - दोषी अधिकारियों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई, पीड़ित किसानों एवं मजदूरों को मुआवजा, क्षतिग्रस्त संपत्ति की भरपाई तथा भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाएं. मोर्चा ने चेतावनी दी कि जब तक सभी पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा और प्रशासनिक दमन का कड़ा प्रतिकार किया जाएगा.









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