कमान अधिकारी अनिल कुमार (2 I/C) के नेतृत्व में सभी जवानों ने स्वेच्छा से योगदान करते हुए कुल 74 हज़ार रुपये की राशि एकत्र की. अनिल कुमार ने इस अभियान को व्यक्तिगत रूप से भी समर्थन दिया और अन्य जवानों को भी इसके लिए प्रेरित किया.
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स्वजनों के साथ सीआरपीएफ जवान |
- तेलंगाना में शहीद हुए थे जयशंकर चौधरी, बक्सर के जवानों ने मिलकर की मदद
- स्वजनों को पहुंचाई 74 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के सीआरपीएफ परिवार ने देश के लिए शहीद हुए जवान जयशंकर चौधरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार को 74 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है. शहीद जयशंकर चौधरी तेलंगाना राज्य में 81वीं बटालियन में तैनात थे और 20 मई 2025 को ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे. इस घटना के बाद पूरे बक्सर जिले और सीआरपीएफ परिवार में शोक की लहर दौड़ गई थी.
बक्सर जिले में तैनात सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों ने आपसी सहयोग से इस मदद की पहल की. द्वितीय कमान अधिकारी अनिल कुमार (2 I/C) के नेतृत्व में सभी जवानों ने स्वेच्छा से योगदान करते हुए कुल 74 हज़ार रुपये की राशि एकत्र की. अनिल कुमार ने इस अभियान को व्यक्तिगत रूप से भी समर्थन दिया और अन्य जवानों को भी इसके लिए प्रेरित किया.
इस सहयोग अभियान में लाल साहब सिंह, अनिल कुमार सिंह, लाल जी यादव, सुरेंद्र सिंह, विनोद कुमार, कन्हैया यादव, सतेंद्र कुमार और सतरुधन चौधरी उर्फ गुड्डू चौधरी की मुख्य भूमिका रही. एकत्रित राशि को शहीद के घर जाकर उन जवानों ने ससम्मान सौंपा, जो अवकाश पर घर आए हुए थे. शहीद के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया गया कि पूरा सीआरपीएफ परिवार हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ा रहेगा.
सीआरपीएफ जवानों ने कहा कि यह सहयोग केवल आर्थिक नहीं बल्कि हमारे साथ के भाव का प्रतीक है. शहीद जयशंकर चौधरी की वीरता और देशभक्ति को हमेशा याद किया जाएगा. उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
सीआरपीएफ बक्सर परिवार ने यह संकल्प लिया है कि वे भविष्य में भी शहीद के परिवार की हर संभव मदद करते रहेंगे. जवानों ने कहा – “हम एक परिवार हैं और अपने परिवार के किसी भी सदस्य को अकेला महसूस नहीं होने देंगे. शहीद जयशंकर चौधरी का बलिदान हमारी प्रेरणा है.”
बक्सर सीआरपीएफ परिवार का यह कदम यह दर्शाता है कि वे केवल सीमा पर नहीं बल्कि समाज और साथियों के प्रति भी सजग और संवेदनशील हैं. यह पहल न केवल आर्थिक सहयोग है बल्कि यह विश्वास दिलाती है कि देश के सच्चे सपूतों के परिवार कभी अकेले नहीं होते.
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