ग्रामीणों द्वारा लगातार विरोध किए जाने के बावजूद, अब तक प्रशासन ने कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है. उलटे, विरोध करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ ही कई प्राथमिकी दर्ज करा दी गईं. इस हालात के बीच विश्वामित्र सेवा संगठन ग्रामीणों के समर्थन में खुलकर सामने आया है और भू-माफियाओं के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर दिया है.
- विश्वामित्र सेवा ने उठाई आवाज, भू-माफियाओं के खिलाफ प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
- ग्रामीण बोले- पूर्वजों ने सार्वजनिक हित में दी थी जमीन, कब्जे की कोशिश कभी नहीं होने देंगे
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र के पुराना भोजपुर और नावाडेरा गांवों में स्थित एक ऐतिहासिक पोखर और उससे सटे ग्रामीण भूखंड पर स्थानीय भू-माफियाओं की नजर पड़ गई है. वर्ष 2023 से भू-माफिया इस जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. ग्रामीणों द्वारा लगातार विरोध किए जाने के बावजूद, अब तक प्रशासन ने कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है. उलटे, विरोध करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ ही कई प्राथमिकी दर्ज करा दी गईं. इस हालात के बीच विश्वामित्र सेवा संगठन ग्रामीणों के समर्थन में खुलकर सामने आया है और भू-माफियाओं के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर दिया है.
ग्रामीणों ने बताया कि यह जमीन 1857 की क्रांति के नायकों की थी. अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते हुए, इन सेनानियों को क्षेत्र छोड़ना पड़ा था. तब उन्होंने अपनी 2 एकड़ 32 डिसमिल पोखर, 2 एकड़ 30 डिसमिल भीट (पोखर के चारों ओर की जमीन) और 1 एकड़ 92 डिसमिल जमीन पर बने शिवाला मंदिर सहित अन्य भूखंड ग्रामीणों को सार्वजनिक उपयोग के लिए सौंप दिए थे. आज भी ग्रामीण सामूहिक रूप से इस संपत्ति का उपयोग करते हैं.
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह भूमि काशी प्रसाद, जगन्नाथ प्रसाद, देवराज प्रसाद, विश्वनाथ और राम जीवित लाल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की थी. इन लोगों ने बाबू वीर कुंवर सिंह का 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में साथ दिया था. अंग्रेजों के कोप से बचने के लिए बिहार छोड़ते समय, इन वीरों ने यह जमीन ग्रामीणों को सौंप दी थी, ताकि सार्वजनिक हित में इसका उपयोग होता रहे.
ग्रामीणों ने कहा कि पोखर में मछली पालन किया जाता है, और उससे होने वाली आय से मंदिर का रखरखाव तथा अन्य सार्वजनिक कार्य संपन्न किए जाते हैं. वर्षों से इस जमीन का उपयोग ग्रामीणों के सामूहिक हित में होता आ रहा है.
2023 से बढ़ी भू-माफियाओं की गतिविधियां
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2023 में स्थानीय निवासी प्रकाश चंद जायसवाल, प्रेमचंद जायसवाल, गुलाबचंद जायसवाल, सतीश चंद्र जायसवाल और लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल समेत अन्य लोगों ने इस भूमि पर कब्जा जमाने की कोशिश शुरू कर दी. जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो इनके खिलाफ कई बार प्राथमिकी दर्ज कर दी गई. इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है.
जैसे ही स्वतंत्रता सेनानी परिवार के वंशजों को इसकी जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंचे और लिखित रूप से प्रमाणित किया कि यह जमीन उनके पूर्वजों द्वारा सार्वजनिक हित के लिए दान दी गई थी. उन्होंने भी भू-माफियाओं के प्रयासों का कड़ा विरोध किया.
विश्वामित्र सेवा ने संभाली कमान
गुरुवार को विश्वामित्र सेवा के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली और समर्थन का भरोसा दिलाया. राजकुमार चौबे ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों की दी गई जमीन पर कब्जा करना इतिहास और देश दोनों के साथ विश्वासघात है. उन्होंने कहा कि विश्वामित्र सेवा इस लड़ाई में ग्रामीणों के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी और हर स्तर पर संघर्ष करेगी.
राजकुमार चौबे ने प्रशासन को भी चेताया कि यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई तो कानूनी लड़ाई के साथ-साथ जनआंदोलन भी खड़ा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का अपमान किसी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा. उनके साथ विश्वमित्र सेना के शाहाबाद संयोजक कृष्णा शर्मा तथा राष्ट्रीय समन्वयक अशोक उपाध्याय भी मौजूद रहे.
ग्रामीणों ने भी दी आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल इस भूमि की सत्यता की जांच कर भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं. साथ ही, जिनके द्वारा झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. ग्रामीणों ने चेताया कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे.
फिलहाल, विश्वामित्र सेवा के समर्थन से ग्रामीणों का हौसला बुलंद है और इलाके में संघर्ष का माहौल बन गया है. सभी की नजरें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं कि वह जनता के हित में फैसला लेता है या भू-माफियाओं के दबाव में आता है.
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