सदर अस्पताल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों का अभाव है और चिकित्सकों का व्यवहार भी रोगियों के प्रति उपेक्षापूर्ण देखा जा रहा है. परिणामस्वरूप गंभीर बीमार रोगियों की परेशानी बढ़ रही है और अस्पताल में इलाज कराने आने वाले लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
- रोगी कल्याण समिति के सदस्य और सिविल सर्जन ने जताई चिंता
- रोगी कल्याण समिति है भंग, अब तक नहीं हुआ है पुनर्गठन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल की व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है. जहां एक ओर सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. मरीजों को यहां इलाज की सुविधा मिले न मिले, लेकिन अव्यवस्थाएं जरूर मिल जाती हैं. सदर अस्पताल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों का अभाव है और चिकित्सकों का व्यवहार भी रोगियों के प्रति उपेक्षापूर्ण देखा जा रहा है. परिणामस्वरूप गंभीर बीमार रोगियों की परेशानी बढ़ रही है और अस्पताल में इलाज कराने आने वाले लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
ताजा मामला शनिवार को सामने आया जब अस्पताल के इमरजेंसी गेट के ठीक सामने एक आवारा कुत्ता खुलेआम घूमता नजर आया. कुत्ता इस तरह से वहां बैठा था मानो अस्पताल की सुरक्षा में तैनात हो. अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों ने इस अव्यवस्था पर गहरी नाराजगी जताई. लोगों का कहना था कि तमाम दावों के बावजूद अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. यदि अस्पताल परिसर में इस तरह से आवारा पशु घूमते रहेंगे तो संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाएगा. मरीजों ने चिंता जताते हुए सवाल उठाया कि आखिर ऐसी लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है? बाद में कुछ लोगों के द्वारा यह तस्वीर सोशल मीडिया पर भी प्रसारित की गई, इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया.
सवालों के घेरे में अस्पताल प्रबंधन :
रोगी कल्याण समिति के सदस्य डॉ मनोज कुमार यादव ने भी अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि अस्पताल की व्यवस्थाएं देखने वाला कौन है, यह समझ से परे है. रोगी कल्याण समिति की बैठक भी काफी समय से नहीं हुई है, जिससे व्यवस्थाओं की समीक्षा नहीं हो पा रही है. डॉक्टर यादव ने बताया कि आवारा कुत्तों का अस्पताल परिसर में घूमना तो एक उदाहरण मात्र है, यहां सुरक्षा व्यवस्था से लेकर सफाई तक की स्थिति अत्यंत दयनीय है. जब से एनजीओ को हटाकर जीविका दीदियों के माध्यम से सफाई व्यवस्था कराई जा रही है, तब से हालात और भी बदतर हो गए हैं. न तो नियमित सफाई होती है और न ही परिसर को संक्रमणमुक्त बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
रेडक्रॉस सचिव ने भी जताई व्यवस्था पर चिंता :
रेडक्रॉस के सचिव डॉ श्रवण कुमार तिवारी ने बताया कि वर्तमान में सदर अस्पताल में ही रक्त अधिाकोष की स्थापना की गई है. ऐसे में वह नियमित रूप से अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन अस्पताल की अव्यवस्थाओं को देखकर उनका मन खिन्न हो जाता है. इस संदर्भ में सिविल सर्जन को संज्ञान लेते हुए व्यवस्थाओं को और भी बेहतर बनाना चाहिए. ताकि सरकार की तरफ से रोगियों के कल्याण के लिए जो इंतजाम किए गए हैं उसका पूरा लाभ रोगियों को मिल सके. उन्होंने कहा कि रोगी कल्याण समिति बहुत दिनों से भंग है तथा नया गठन नहीं होने के कारण अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर कोई सवाल नहीं उठा पता है.
व्यवस्थाओं को सुधारने का दावा कर रहे सिविल सर्जन
इधर, मामले पर सिविल सर्जन डॉक्टर शिवकुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्पताल में किसी भी अव्यवस्था की जानकारी मिलते ही तत्काल संज्ञान लिया जाता है और सुधार के निर्देश दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी गेट के पास कुत्ते के घूमने की घटना की जांच कराई जाएगी. यदि इसमें किसी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित कर्मियों से जवाब-तलब किया जाएगा. सिविल सर्जन ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे.
साफ-सफाई की बदहाली पर उन्होंने बताया कि अस्पताल में साफ-सफाई का काम जीविका दीदियों को सौंपा गया है और यदि सफाई कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाता तो हर महीने भुगतान में 10 से 15 प्रतिशत तक की कटौती की जाती है. इसके अलावा जल्द ही रोगी कल्याण समिति की बैठक बुलाकर अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के ठोस उपाय किए जाएंगे.
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