बक्सर रेलवे स्टेशन की बदहाली : सुविधाओं की कमी, जिम्मेदारों की अनदेखी ..

इन समस्याओं का लगातार बने रहना दर्शाता है कि संबंधित विभाग या तो गंभीर नहीं हैं या फिर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है. यात्रियों की सुविधाओं को लेकर रेलवे का यह रवैया चिंताजनक है.

 

रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार के समीप पसरा नाली का पानी









                                           





● जांच के बावजूद नहीं सुधरी व्यवस्था, टूटा शौचालय स्लैब बन सकता था हादसे की वजह
● नालियों की सफाई और जल निकासी व्यवस्था अब तक नहीं हुई दुरुस्त

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : दानापुर रेल मंडल के प्रमुख स्टेशनों में गिने जाने वाले बक्सर रेलवे स्टेशन की हालत आज भी बदतर बनी हुई है. यात्रियों को जिन मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता होती है, वे या तो पूरी तरह से अनुपलब्ध हैं या बेहद खराब स्थिति में हैं. साफ-सफाई, शौचालय, जल निकासी और सर्कुलेटिंग एरिया की दुर्दशा जैसी समस्याएं रेलवे प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं.

टूटा शौचालय का स्लैब

सबसे गंभीर समस्या स्टेशन परिसर में स्वच्छता और शौचालयों की बदहाल स्थिति है. प्लेटफार्म संख्या एक पर स्थित 'पे एंड यूज' डीलक्स शौचालय का स्लैब मई माह में टूट गया. गनीमत रही कि उस समय कोई यात्री वहां मौजूद नहीं था, वरना बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. उल्लेखनीय है कि यह वही शौचालय है जिसे लेकर मार्च महीने में दैनिक भास्कर अखबार में खबर प्रकाशित की गई थी. इसके बाद रेलवे के डीआरएम जयंत चौधरी के निर्देश पर एक संयुक्त जांच टीम बक्सर पहुंची थी. टीम ने स्टेशन परिसर की विभिन्न व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर सुधार का आश्वासन भी दिया था.

संयुक्त जांच दल में शामिल मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक संजीव कुमार सिन्हा, सीटीआई अजय कुमार, स्टेशन प्रबंधक कमलेश कुमार सिंह, कार्य निरीक्षक श्याम प्रकाश कुमार, शौचालय संचालक निशिकांत कुमार और सुलभ इंटरनेशनल के प्रतिनिधि ने स्टेशन परिसर में सफाई और जनसुविधाओं की स्थिति को लेकर गहन निरीक्षण किया था.

इस निरीक्षण में स्पष्ट रूप से यह बात सामने आई कि शौचालय की टंकी पूरी तरह से भर चुकी है, जिससे जल निकासी बाधित हो रही थी. टंकी की सफाई कराने और उसका ढक्कन (स्लैब) मरम्मत कराने के निर्देश दिए गए थे. निरीक्षण टीम ने चेताया था कि सफाई के दौरान स्लैब के टूटने का खतरा है, जिसे समय रहते ठीक करना अनिवार्य है. लेकिन समय रहते मरम्मत नहीं की गई और आखिरकार स्लैब टूट ही गया.

इसके अतिरिक्त, प्लेटफार्म संख्या दो और तीन पर स्थित शौचालयों की स्थिति भी खराब पाई गई थी. यहां दीवारों, फर्श और पानी की आपूर्ति प्रणाली को लेकर शिकायतें थीं. इन शौचालयों के लिए नया टैंक बनाने की भी सिफारिश की गई थी. यह तय हुआ था कि शौचालय से निकलने वाले कचरे के सुरक्षित निष्कासन के लिए भी एक अलग मार्ग बनाया जाएगा, लेकिन आज तक वह कार्य शुरू नहीं हो पाया है.

बात केवल शौचालयों तक सीमित नहीं है. रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया की नालियों की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है. नालियों की नियमित सफाई नहीं होने के कारण गंदा पानी मैदान में फैल रहा है. इस कारण यात्रियों और आसपास के लोगों को लगातार असुविधा झेलनी पड़ रही है. खासकर बरसात के समय में स्थिति और भी भयावह हो जाती है.

स्टेशन परिसर में एक बड़ा नल भी लंबे समय से खुला हुआ है, जिससे फिसलने की घटनाएं हो चुकी हैं. कई बार यात्रियों और आम नागरिकों के गिरने की घटनाएं सामने आई हैं, फिर भी इसे सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

मार्च महीने में हुई जांच के बाद अधिकारियों के बीच कार्य विभाजन भी किया गया था. शौचालय के संचालन और देखभाल की जिम्मेदारी संवेदक निशिकांत कुमार के साथ-साथ मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक और कार्य निरीक्षक को सौंपी गई थी. संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया था कि सुधार कार्य शीघ्र शुरू कर यात्रियों को राहत दी जाए, लेकिन समय बीतने के बावजूद स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर श्रवण कुमार तिवारी कहते हैं कि, "बक्सर रेलवे स्टेशन पर इन समस्याओं का लगातार बने रहना दर्शाता है कि संबंधित विभाग या तो गंभीर नहीं हैं या फिर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है. यात्रियों की सुविधाओं को लेकर रेलवे का यह रवैया चिंताजनक है, और यह आवश्यक हो गया है कि स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि इस दिशा में सक्रिय हस्तक्षेप करें."

रेलयात्री संघर्ष समिति के संयोजक तथा पूर्व जिला परिषद सदस्य डॉक्टर मनोज यादव के मुताबिक, "रेलवे यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं देना एक प्राथमिक जिम्मेदारी है, और जब यह जिम्मेदारी बार-बार की चेतावनी और जांच के बावजूद पूरी नहीं होती, तो इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है. बक्सर जैसे प्रमुख स्टेशन पर ऐसी स्थिति का बना रहना पूरे रेल मंडल की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है."










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