पुलिस, बंदी और न्यायिक कर्मियों ने सीखी योग से निरोग रहने की कला ..

कहा कि समाज के हर वर्ग को योग से जुड़ना चाहिए, क्योंकि यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि आंतरिक परिवर्तन और शांति का मार्ग है. उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य योग के माध्यम से सेवा और चेतना का संदेश जन-जन तक पहुँचाना है.
जेल में प्रशिक्षण प्राप्त करते बंदी









                                           





- पुलिस लाइन, केंद्रीय कारागार और न्यायालय परिसर में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की प्रशिक्षिका वर्षा पांडेय ने कराया योगाभ्यास
- प्रशिक्षिका ने सिखाई योग से निरोग रहने की कला

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर शनिवार को बक्सर जिले में तीन महत्वपूर्ण स्थानों—पुलिस लाइन, केंद्रीय कारागार और जिला न्यायालय परिसर—में योग एवं ध्यान की विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया गया. इन तीनों आयोजनों का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता और जीवन प्रशिक्षक वर्षा पांडेय के नेतृत्व में किया गया. कार्यशालाओं का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों—पुलिस बल, न्यायिक सेवा और बंदी समुदाय—को मानसिक शांति, आत्मिक बल और सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण से सशक्त बनाना था.


सुबह सबसे पहले पुलिस लाइन परिसर में सीआई, थानेदारों एवं जवानों के लिए योगाभ्यास सत्र हुआ, जिसमें वर्षा पांडेय ने तनाव प्रबंधन, ध्यान केंद्रित करने की तकनीकें और दैनंदिन जीवन में योग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. पुलिसकर्मियों ने भी पूरे मनोयोग से हिस्सा लिया और कहा कि योग से उनके कार्य प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव संभव है.

दूसरा आयोजन केंद्रीय कारागार में हुआ, जहाँ कारा अधीक्षक ज्ञानिता गौरव की देखरेख में सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों को विशेष श्वास तकनीक, ध्यान अभ्यास और आत्मग्लानि, क्रोध व अवसाद से उबरने के व्यावहारिक उपाय बताए गए. वर्षा पांडेय ने बंदियों को संबोधित करते हुए कहा, “योग केवल शरीर की कसरत नहीं, आत्मा की यात्रा है. कारागार की दीवारें सीमित हो सकती हैं, पर चेतना की उड़ान असीम होती है.” इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में बंदियों ने भाग लिया और भावुकता के साथ अनुभव साझा किए कि उन्हें भीतर से गहन शांति का अनुभव हुआ है.

तीसरा विशेष सत्र बक्सर जिला न्यायालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और कर्मचारियों ने भाग लिया. यहाँ उपस्थितजनों को वर्षा पांडेय ने बताया कि किस प्रकार योग और मौन साधना के ज़रिये न्यायिक कार्य में मानसिक संतुलन और तटस्थता बनाए रखी जा सकती है.

तीनों कार्यशालाओं के आयोजन को लेकर संबंधित विभागों—पुलिस प्रशासन, जेल प्रशासन और न्यायिक प्रशासन—ने वर्षा पांडेय के प्रयास की सराहना की. अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल शारीरिक तंदुरुस्ती के लिए उपयोगी हैं, बल्कि आंतरिक संतुलन, सेवा भावना और कर्तव्य निष्ठा को भी मजबूती प्रदान करते हैं.

वर्षा पांडेय ने कहा कि समाज के हर वर्ग को योग से जुड़ना चाहिए, क्योंकि यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि आंतरिक परिवर्तन और शांति का मार्ग है. उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य योग के माध्यम से सेवा और चेतना का संदेश जन-जन तक पहुँचाना है.

इन तीनों कार्यशालाओं के सफल आयोजन ने बक्सर में योग दिवस को एक गहन और सार्थक सामाजिक चेतना पर्व के रूप में स्थापित किया.









Post a Comment

0 Comments